यही है बिहार: जहाँ सूर्य और चंद्र दोनों की होती है पूजा

संवाद 

बिहार अपनी आस्था और परंपराओं के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहाँ न सिर्फ सूर्य देव की आराधना होती है, बल्कि चंद्रमा की भी पूजा की जाती है। यही इस धरती की संस्कृति की सबसे बड़ी पहचान है।

सूर्य देव की आराधना

बिहार का सबसे बड़ा पर्व छठ है। इसमें महिलाएँ 36 घंटे निर्जला उपवास रखकर अस्ताचल (डूबते) और उदयाचल (उगते) सूर्य को अर्घ्य देती हैं। यह परंपरा पूरे भारत में अद्वितीय है और इसे देखने हजारों श्रद्धालु घाटों पर इकट्ठा होते हैं।

चंद्रमा की पूजा – चौरचन

भादो माह की कृष्ण चतुर्थी को मनाया जाने वाला चौरचन पर्व चंद्रदेव को समर्पित है। इस दिन महिलाएँ परिवार की सुख-समृद्धि और बच्चों की लंबी आयु के लिए चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं। पूजा में पुरी, खीर और पिरूकिया जैसे पकवान का विशेष महत्व है।

अनोखी परंपरा

बिहार की यही विशेषता है कि यहाँ उगते सूर्य और डूबते सूर्य दोनों की पूजा होती है और साथ ही चंद्रमा की भी आराधना की जाती है। यह संतुलन इस धरती की धार्मिक गहराई और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है।


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✍️ संपादक – रोहित कुमार सोनू



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