सनातन धर्म में जितिया व्रत का विशेष महत्व माना गया है। यह व्रत मुख्य रूप से माताओं द्वारा अपने संतान की लंबी आयु, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस व्रत की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जिसे शुभ व्रतारंभ का प्रतीक माना जाता है।
📅 जितिया व्रत 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त
- नहाय-खाय की तिथि: 13 सितंबर 2025 (शनिवार)
- अष्टमी तिथि प्रारंभ: 14 सितंबर सुबह 8:51 AM
- अष्टमी तिथि समाप्त: 15 सितंबर सुबह 5:36 AM
🪔 नहाय-खाय की विधि
- प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- घर की साफ-सफाई करके पवित्र वातावरण बनाएं।
- सात्विक और पौष्टिक भोजन तैयार कर ग्रहण करें।
- इसके बाद व्रत की तैयारी की जाती है और अगले दिन निर्जला उपवास का संकल्प लिया जाता है।
🙏 पूजा विधि
- व्रत के दिन महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं।
- भगवान जीमूतवाहन और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
- पूजन सामग्री में दीपक, धूप, फूल, फल, वस्त्र और प्रसाद शामिल किए जाते हैं।
- कथा सुनने और संतान की दीर्घायु की कामना करने का विशेष महत्व है।
🌸 व्रत का महत्व
- यह व्रत संतान की रक्षा और लंबी आयु के लिए सर्वोत्तम माना गया है।
- माताओं के लिए यह तपस्या और भक्ति का प्रतीक है।
- धार्मिक मान्यता है कि इससे घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और संतान पर संकट नहीं आता।
✅ विशेष उपाय
- इस दिन पीपल या तुलसी के पौधे के नीचे दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
- जरूरतमंदों को भोजन कराने से पुण्य प्राप्त होता है।
- संतान के नाम से दान करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।
👉 जितिया व्रत का नहाय-खाय केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं बल्कि मातृत्व की भावना और संतान के प्रति समर्पण का पवित्र प्रतीक है।
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