पटना। बिहार की राजनीति में नौवीं विधानसभा का चुनाव ऐतिहासिक साबित हुआ। इस चुनाव ने जहां कांग्रेस की ताकत में थोड़ी बढ़ोतरी दिखाई, वहीं इसे बिहार में कांग्रेस के राजनीतिक महाशक्ति के रूप में अंतिम चुनाव भी माना गया। इसके बाद कांग्रेस का प्रभाव लगातार घटता गया और बिहार की सत्ता की राजनीति में उसका वर्चस्व टूट गया।
इस चुनाव में लोकदल ने कांग्रेस के बाद सबसे अधिक सीटें जीतकर मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभाई। लोकदल का यह प्रदर्शन बिहार की राजनीति में नई शक्ति के उदय का प्रतीक बना।
यही वह दौर था जब बिहार की संसदीय राजनीति में लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार जैसे नेताओं का राजनीतिक अभ्युदय हुआ। बाद में यही नेता बिहार की राजनीति की धुरी बने और दशकों तक सत्ता और विपक्ष दोनों में अपनी भूमिका निभाते रहे।
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