इन 7 फलों के बिना अधूरा रह सकता है छठ पर्व — जानिए क्यों हैं ये इतने खास!

रोहित कुमार सोनू 

छठ पूजा सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि आस्था, तपस्या और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का महापर्व है। इस पूजा में सूर्य देव और छठी मईया को अर्घ्य देने के लिए जो प्रसाद चढ़ाया जाता है, उसमें फल विशेष स्थान रखते हैं। माना जाता है कि ये फल शुद्धता, समृद्धि और प्राकृतिक ऊर्जा का प्रतीक हैं। इन फलों के बिना दौरा-दऊरा (पूजा की टोकरी) अधूरी मानी जाती है।

आइए जानते हैं वे 7 प्रमुख फल, जिनके बिना छठ पर्व का प्रसाद अधूरा समझा जाता है—


✅ 1. केला (Banana)

  • केला छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण फल माना जाता है।
  • यह समृद्धि और वंश वृद्धि का प्रतीक है।
  • पूजा के दौरे में पूरा केला का घौघा (डंठल सहित गुच्छा) रखा जाता है।

✅ 2. सेब (Apple)

  • सेब स्वास्थ्य और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।
  • छठी मैया को यह फल शुद्ध और सात्विक प्रसाद के रूप में अर्पित किया जाता है।

✅ 3. अनार (Pomegranate)

  • अनार को सम्पन्नता और शुभ फलत्व का प्रतीक माना जाता है।
  • इसके अनेक दानों को परिवार की एकता और सुख-शांति का प्रतीक माना जाता है।

✅ 4. मीठा नींबू या मौसमी (Sweet Lemon)

  • इसे शीतलता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।
  • शरीर और मन को शुद्ध एवं शीतल बनाए रखने का संदेश देता है।

✅ 5. नारियल (Coconut)

  • नारियल को 'शुद्धता और सत्य' का प्रतीक माना जाता है।
  • यह प्रसाद के रूप में बेहद जरूरी है, विशेषकर जल अर्घ्य के समय।

✅ 6. अमरूद (Guava)

  • इसे स्वास्थ्य समृद्धि और जीवन में मिठास का प्रतीक माना जाता है।
  • कई क्षेत्रों में यह फल छठ प्रसाद में अनिवार्य रूप से शामिल होता है।

✅ 7. नींबू (Lemon)

  • पूजा के दौरान नींबू को बांस के सूप या दौरे में शामिल किया जाता है।
  • यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और शुद्धता का प्रतीक है।

✨ इन फलों का महत्व क्यों?

इन सभी फलों को प्राकृतिक ऊर्जा और जीवन शक्ति का प्रतीक माना जाता है, जो सूर्य देव की शक्ति से जुड़ी होती है। छठ पूजा में सूर्य देव के प्रति आभार व्यक्त करते समय ये फल प्रकृति के प्रति सम्मान दर्शाते हैं।



जब व्रती दौरे में सूप लेकर घाट की ओर प्रस्थान करती हैं, तो इन फलों की महक और रंग छठ की भक्ति को और अधिक जीवंत कर देते हैं। यही कारण है कि इन 7 फलों को छठ पूजा के प्रसाद में विशेष रूप से शामिल किया जाता है और इनके बिना प्रसाद अधूरा माना जाता है।


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