छठ व्रत के नियम: व्रतधारियों को इन बातों का विशेष ध्यान रखना होता है

रोहित कुमार सोनू 



छठ महापर्व हिंदू आस्था का सबसे पवित्र और कठोर व्रत माना जाता है। सूर्य देव और छठी मइया की उपासना से जुड़े इस चार दिवसीय पर्व में व्रतधारी को शरीर, मन और आत्मा की पवित्रता बनाए रखनी होती है। छठ पूजा के दौरान कुछ सख्त नियमों का पालन अत्यंत आवश्यक होता है। आइए जानते हैं छठ व्रत के मुख्य नियम:

✅ 1. शुद्ध आहार का सेवन

छठ पूजा के दौरान घर में प्याज, लहसुन और सभी मांसाहारी पदार्थों का सेवन सख्ती से वर्जित होता है। व्रतधारी ही नहीं, परिवार के अन्य सदस्य भी सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं।

✅ 2. प्रसाद बनाने में गंगाजल का प्रयोग

व्रती के द्वारा बनाए जाने वाले प्रसाद और अन्य छठ के भोजन में गंगाजल का उपयोग अनिवार्य माना जाता है। यह प्रसाद मिट्टी या कांसे के बर्तनों में तैयार किया जाता है।

✅ 3. बांस की टोकरी का महत्व

छठ पूजा की सामग्री जैसे प्रसाद, फल, ठेकुआ, कसार, नारियल और अर्घ्य की सामग्री को बांस की टोकरी (सूप या दऊरा) में रखा जाता है, जिसे सूर्य देव को अर्पित किया जाता है।

✅ 4. नदी या स्वच्छ जलाशय में स्नान

व्रतधारी को शरीर और मन की शुद्धि के लिए नदी, तालाब या किसी स्वच्छ जलाशय में स्नान करना आवश्यक होता है। यह स्नान आध्यात्मिक पवित्रता का प्रतीक है।

✅ 5. सूर्य को अर्घ्य देना

छठ पूजा में सूर्य देव को गंगाजल या स्वच्छ जल से अर्घ्य दिया जाता है। अर्घ्य देते समय व्रती जल में खड़े होकर सूर्य की उपासना करता है।

✅ 6. चमड़े की वस्तुओं का प्रयोग वर्जित

पूजा के दौरान चमड़े से बनी वस्तुओं (जैसे बेल्ट, पर्स या जूते) का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। यह पूजा की पवित्रता को प्रभावित करता है।

✅ 7. शुद्ध बर्तन और चूल्हे का प्रयोग

प्रसाद बनाने वाले बर्तन और चूल्हा पूरी तरह से शुद्ध होना चाहिए। चूल्हा जलाने के लिए केवल लकड़ी या उपले का उपयोग किया जाता है।

✅ 8. पलंग पर नहीं सोते व्रती

व्रतधारी को पूरे व्रत काल के दौरान जमीन पर चादर या दरी बिछाकर ही सोना चाहिए। पलंग या चारपाई पर सोना नियमों के विरुद्ध माना जाता है।


छठ व्रत तप, संयम और पूर्ण समर्पण का प्रतीक है। जो भी व्रती इन नियमों का पालन पूरी आस्था के साथ करते हैं, उन्हें सूर्य देव और छठी मइया का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


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