रोहित कुमार सोनू
बिहार की राजनीति में इस बार चुनावी रणभूमि एक बार फिर सिम्बल्स (प्रतीकों) की जंग में बदल गई है। कभी सत्ता के केंद्र में रहने वाले सूरजभान सिंह, जिनका राजनीतिक सफर कई उतार-चढ़ावों से भरा रहा, अब एक नई दिशा की तलाश में दिखाई दे रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस बार उनका राजनीतिक चेहरा “कमल” नहीं, बल्कि “लालटेन की रोशनी” में निखरता दिखाई दे रहा है।
सूरजभान सिंह, जो कभी एनडीए की राजनीति के मजबूत स्तंभ माने जाते थे, अब महागठबंधन के साथ नज़र आ रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि उन्होंने हाल के दिनों में राजद नेतृत्व के साथ कई बार मुलाकात की है। उनकी राजनीतिक सक्रियता और बदले रुख से क्षेत्रीय राजनीति में हलचल मच गई है।
राजनीति के जानकारों का कहना है कि सूरजभान सिंह जैसे अनुभवी नेता का “लालटेन” के साए में आना न केवल प्रतीकात्मक परिवर्तन है, बल्कि यह बिहार की बदलती राजनीतिक दिशा का भी संकेत है। जहां एक ओर राजद लगातार “सामाजिक न्याय” के मुद्दे को धार दे रही है, वहीं दूसरी ओर सूरजभान सिंह जैसे चेहरे उसे नई स्वीकार्यता दिला सकते हैं।
लालटेन की रोशनी में सूरजभान सिंह का दिखना यह भी दर्शाता है कि बिहार में पुराने समीकरण फिर से बन रहे हैं। सत्ता, विचारधारा और समीकरणों की यह अदला-बदली चुनाव से पहले के माहौल को और रोचक बना रही है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि सूरजभान सिंह का यह नया सफर उन्हें कितनी दूर तक ले जाता है — क्या वे “लालटेन” की रोशनी में अपनी राजनीतिक चमक फिर पा पाएंगे या यह सिर्फ एक चुनावी रणनीति साबित होगी, इसका जवाब आने वाले महीनों में जनता देगी।
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