संवाद
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है। इस लिस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान जैसे दिग्गज नेताओं को शामिल किया गया है। इसके साथ ही पार्टी ने प्रचार की जिम्मेदारी भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी सौंपी है।
हालांकि इस लिस्ट में एक नाम की अनुपस्थिति ने सभी को चौंका दिया — सैयद शहनवाज़ हुसैन।
कभी बिहार में भाजपा का सबसे प्रमुख मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले शहनवाज़ हुसैन न तो स्टार प्रचारकों की सूची में हैं, न ही उन्हें किसी सीट से उम्मीदवार के तौर पर उतारा गया है।
पिछले कुछ हफ्तों से कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा उन्हें किशनगंज सीट से चुनाव मैदान में उतार सकती है — यह बिहार की उन कुछ सीटों में से एक है जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। लेकिन पार्टी ने वहां से एक नए चेहरे को टिकट देकर इन अटकलों पर विराम लगा दिया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा का यह फैसला संदेशात्मक रूप से महत्वपूर्ण है।
शहनवाज़ हुसैन जैसे अनुभवी और सौम्य छवि वाले नेता को न शामिल करना यह संकेत देता है कि भाजपा इस बार अपने कोर वोट बैंक को साधने की दिशा में चल रही है, बजाय समावेशी राजनीति का संकेत देने के।
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि यदि किशनगंज से शहनवाज़ हुसैन को उतारा जाता, तो भाजपा मुस्लिम समुदाय में सकारात्मक संदेश देने में सफल हो सकती थी। बिहार में मुस्लिम मतदाताओं की आबादी लगभग 17 प्रतिशत है, लेकिन इस बार भाजपा ने किसी भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है।
वहीं, एनडीए के अन्य दलों की बात करें तो स्थिति वहां भी खास अलग नहीं है।
जदयू ने इस बार सिर्फ 4 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है, जबकि 2020 में यह संख्या 10 थी। हम (हितधारक जनता दल) और एलजेपी (रामविलास) की सूची में भी कोई मुस्लिम नाम नहीं है।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि बिहार की राजनीति में यह रुझान भविष्य के गठबंधन समीकरणों पर भी असर डाल सकता है।
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