संवाद
बिहार चुनाव से ठीक पहले राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। पार्टी की महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष रितु जायसवाल ने बगावत का बिगुल फूंकते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। यह कदम आरजेडी के भीतर असंतोष और टिकट बंटवारे को लेकर जारी नाराज़गी को एक बार फिर उजागर करता है।
टिकट नहीं मिलने से बढा़ रोष
सूत्रों के अनुसार, रितु जायसवाल लंबे समय से टिकट की इच्छुक थीं और पार्टी नेतृत्व से मजबूत संवाद बनाए हुई थीं। लेकिन जैसे ही आरजेडी की लिस्ट जारी हुई और उनका नाम उसमें शामिल नहीं रहा, उन्होंने खुलकर अपनी नाराज़गी जाहिर की। इसके बाद उन्होंने साफ कर दिया कि वह पीछे हटने वाली नहीं हैं और जनता के समर्थन के बल पर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरेंगी।
रितु जायसवाल की छवि एक जुझारू महिला नेता की
रितु जायसवाल बिहार की उन महिला नेताओं में शुमार हैं जिन्होंने ग्रामीण स्तर से राजनीति की शुरुआत करते हुए राज्यस्तर पर अपनी पहचान मजबूत की है। महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने कई सामाजिक मुद्दों पर मुखर भूमिका निभाई। उनकी पकड़ न सिर्फ महिला वोटर्स में मजबूत है, बल्कि युवाओं और ग्रामीण क्षेत्रों में भी उनका प्रभाव देखा जाता है।
आरजेडी के लिए मुश्किलें हो सकती हैं बढ़ी
चुनाव से पहले एक बड़े चेहरे का इस तरह पार्टी से किनारा करना आरजेडी के लिए चिंता का विषय बन सकता है। खासकर महिला मतदाताओं के बीच जो छवि रितु जायसवाल ने बनाई है, उससे वोट बैंक में सेंध लगने की आशंका जताई जा रही है।
निर्दलीय मैदान में उतरने का संदेश साफ: “मैं अपनी ताकत जानती हूं”
अपने एलान में रितु जायसवाल ने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि चुनाव जीतने के लिए सिर्फ पार्टी का सिंबल ही जरूरी नहीं होता, बल्कि जनता का विश्वास सबसे बड़ा हथियार होता है। उन्होंने समर्थकों से समर्थन बनाए रखने की अपील भी की है।
आगे की रणनीति पर सबकी नज़र
अब सवाल यह है कि क्या रितु जायसवाल आगे किसी अन्य दल से जुड़ सकती हैं या पूरी तरह निर्दलीय ही चुनाव लड़ेंगी। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, अगर उन्हें अन्य विपक्षी पार्टियों से प्रस्ताव मिलता है तो समीकरण और दिलचस्प हो सकते हैं।
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