कैसे बर्बाद हो गई CFL बल्ब की दुनिया

 संवाद 

एक समय था जब CFL बल्ब (Compact Fluorescent Lamp) को बिजली बचाने की क्रांति माना जाता था। घरों, दफ्तरों और दुकानों में इसकी रोशनी ने पुराने पीले बल्बों को पीछे छोड़ दिया था। लेकिन वक्त के साथ वही CFL बल्ब अब इतिहास का हिस्सा बनता जा रहा है। आइए जानते हैं, आखिर कैसे बर्बाद हो गई CFL बल्ब की दुनिया।


⚡ 1. LED ने छीन ली जगह

CFL बल्ब ने जब शुरुआत की थी, तब वह पारंपरिक बल्बों की तुलना में 70 से 80 प्रतिशत तक बिजली बचाता था। लेकिन कुछ ही सालों बाद LED बल्ब ने बाजार में कदम रखा, जो CFL से भी 50 प्रतिशत तक कम बिजली खपत करता है।
LED बल्ब न सिर्फ ज्यादा चमकदार हैं बल्कि इनका जीवनकाल भी लंबा है।
जहां CFL लगभग 8,000 घंटे तक चलता था, वहीं LED 25,000 से 50,000 घंटे तक रोशनी देता है।


🛠️ 2. बार-बार खराब होने की समस्या

CFL बल्ब में फिलामेंट और स्टार्टर जैसे हिस्से होते हैं, जो समय के साथ खराब हो जाते हैं।
कई बार बिजली के उतार-चढ़ाव से भी CFL जल जाता था।
इसके मुकाबले LED बल्ब में ऐसी कोई तकनीकी जटिलता नहीं होती, जिससे उसका रखरखाव आसान और जीवन ज्यादा लंबा होता है।


☣️ 3. मरकरी (पारा) का खतरा

CFL बल्ब में थोड़ी मात्रा में मरकरी (Mercury) गैस होती है,
जो टूटने पर पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरनाक साबित होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मरकरी की थोड़ी-सी मात्रा भी बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक होती है।
इस कारण कई देशों ने CFL के उत्पादन और बिक्री पर रोक लगाना शुरू कर दिया।


🌱 4. पर्यावरण और रिसाइक्लिंग की चुनौती

CFL बल्ब को सामान्य कचरे में फेंकना खतरनाक होता है, क्योंकि इसमें मौजूद मरकरी मिट्टी और पानी को दूषित करती है।
रिसाइक्लिंग की प्रक्रिया जटिल और महंगी होने के कारण अधिकांश कंपनियों ने CFL का निर्माण बंद कर दिया।
LED बल्ब, इसके विपरीत, Eco-Friendly और Recyclable हैं।


💰 5. सस्ता और सुलभ LED बाजार

पहले LED बल्ब महंगे थे, लेकिन भारत में “उजाला योजना” जैसी सरकारी योजनाओं ने LED को सस्ता और आम जनता तक पहुंचा दिया।
अब 50 रुपये से भी कम कीमत में LED बल्ब उपलब्ध हैं,
जबकि उसी समय CFL की कीमत लगभग 100 से 150 रुपये तक होती थी।
इस आर्थिक अंतर ने CFL को पूरी तरह बाजार से बाहर कर दिया।


🔚 निष्कर्ष

CFL बल्ब ने एक दौर में बिजली बचाने की दिशा में क्रांति लाई थी,
लेकिन तकनीकी विकास और पर्यावरणीय चिंताओं ने LED बल्ब को उसकी जगह दे दी।
आज LED बल्ब न सिर्फ ज्यादा टिकाऊ और सुरक्षित हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी बेहतर विकल्प साबित हो रहे हैं।
इस तरह, CFL बल्ब इतिहास में एक महत्वपूर्ण लेकिन बीता हुआ अध्याय बन चुका है।


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