हिसुआ, नवादा: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में हिसुआ सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पूर्व विधायक अनिल सिंह के लिए बड़ी राजनीतिक चुनौती खड़ी हो गई है। तीन बार इस सीट से जीत दर्ज करने वाले अनिल सिंह अब एनडीए की सीट बंटवारे में अपनी पार्टी की ओर से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। सूत्रों के अनुसार, एनडीए में हिसुआ सीट लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को दे दी गई है।
अनिल सिंह चुनाव के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे और 17 अक्टूबर को नामांकन भरने की तैयारी में थे। उन्होंने अपने समर्थकों के बीच "घर का बेटा, घर का नेता" के नारे के लिए पहचान बनाई थी। लेकिन एनडीए के सीट शेयरिंग फॉर्मूले में यह सीट अब बीजेपी के खाते में नहीं रही।
इस सीट से LJP-R का उम्मीदवार धीरेंद्र कुमार सिन्हा मुन्ना होंगे। मुन्ना नवादा जिले के रजौली विधानसभा क्षेत्र के महबतपुर गांव के रहने वाले हैं और इससे पहले दो बार नवादा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं। 2019 के उपचुनाव में उन्होंने हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा से चुनाव लड़ा था और 36 हजार वोटों के अंतर से दूसरे स्थान पर रहे थे। 2020 में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और चौथे स्थान पर रहे थे।
हिसुआ सीट पर कांग्रेस का भी काफी प्रभाव रहा है। 1957 से 2020 तक हुए 16 चुनावों में कांग्रेस ने सबसे अधिक नौ बार जीत दर्ज की। 2005 से 2015 तक अनिल सिंह बीजेपी से लगातार जीतते रहे, लेकिन 2020 में उन्हें 17,091 मतों के अंतर से हार झेलनी पड़ी थी।
बीजेपी ने सियासी दोस्ती के चलते जनता पार्टी और जनसंघ जमाने की कुछ सीटें LJP-R को दे दी हैं। हिसुआ और ब्रह्मपुर जनता पार्टी के समय की सीटें रही हैं, जबकि गोविंदगंज जनसंघ जमाने की सीट मानी जाती है।
विशेष रूप से मोतिहारी जिले की गोविंदगंज सीट भी अब LJP-R को दी गई है। 1969 में यह सीट भारतीय जनसंघ के पास थी, लेकिन 2020 में बीजेपी के सुनील मनी तिवारी ने जीत दर्ज की थी। अब सीट का चुनाव LJP-R के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी लड़ सकते हैं।
इस प्रकार हिसुआ और गोविंदगंज सीटों पर बीजेपी को बड़ा झटका लगा है और एनडीए में सीट शेयरिंग ने राजनीति के समीकरण पूरी तरह बदल दिए हैं।
मिथिला हिन्दी न्यूज