मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है। नए प्रावधानों के अनुसार, एसआईआर के दौरान मतदाता के माता-पिता, बाबा-दादी और नाना-नानी का ब्योरा ही मान्य होगा। यदि वर्ष 2003 की मतदाता सूची में व्यक्ति का नाम दर्ज है, तो उसे गणना फॉर्म पर सिर्फ व्यक्तिगत जानकारी और विधानसभा क्षेत्र से संबंधित विवरण भरना होगा। इसके बाद उससे किसी भी प्रकार का अतिरिक्त दस्तावेज नहीं लिया जाएगा।
सगे संबंधियों का ब्योरा भी मान्य
गणना फॉर्म में एक कॉलम यह भी जोड़ा गया है कि यदि 2003 की मतदाता सूची में व्यक्ति का नाम नहीं है, लेकिन उसके सगे संबंधी का नाम है, तो वह संबंधी का विवरण दे सकता है।
हालांकि, बाद में आयोग की सुनवाई के दौरान उस संबंधी से रिश्ते का प्रमाण-पत्र या दस्तावेज प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।
बीएलओ को स्पष्ट जानकारी देने का निर्देश
सभी बीएलओ को निर्देश दिया गया है कि फॉर्म बांटते समय मतदाताओं को इन नियमों की सही और स्पष्ट जानकारी दें ताकि किसी भी तरह की गलती या भ्रम की स्थिति न बने।
पश्चिम बंगाल में नई मांग
पश्चिम बंगाल में कुछ संगठनों की ओर से रक्त संबंधियों की सूची में चाचा और ताऊ को भी शामिल करने की मांग उठाई जा रही है।
21 जिलों में मिली लापरवाही, सीईओ ने जताई नाराजगी
मतदाता सूची विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) के तहत गणना प्रपत्र (कैल्कुलेशन फॉर्म) बांटने में देरी पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) नवदीप रिणवा ने सख्त रुख अपनाया है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान उन्होंने 21 जिलों के जिलाधिकारियों को कड़ी चेतावनी दी है और निर्देश दिया है कि 15 नवंबर तक हर हाल में गणना प्रपत्र मतदाताओं को बांटे जाएं।
इन जिलों में लापरवाही पाई गई
प्रयागराज, मेरठ, हरदोई, बहराइच, वाराणसी, बलरामपुर, सोनभद्र, गाजीपुर, देवरिया, अमरोहा, जौनपुर, फतेहपुर, गाजियाबाद, शाहजहांपुर, गोरखपुर, कासगंज, आगरा, उन्नाव, बदायूं, बांदा और हापुड़।
सीईओ ने कहा कि वर्ष 2003 की मतदाता सूची में जिनके नाम शामिल हैं, उनकी वर्तमान सूची से मिलान का काम दो दिनों में हर हाल में पूरा किया जाए।
साथ ही संबंधित जिलों को चेतावनी दी गई है कि देरी पर जिम्मेदारी तय की जाएगी।
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