बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में मुकाबला भले ही एनडीए और महागठबंधन के बीच माना जा रहा हो, लेकिन इस बार छोटे दल ही ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभाते नजर आ रहे हैं। 11 नवंबर को होने वाली वोटिंग में कई सीटों पर सहयोगी दलों के उम्मीदवार आमने-सामने हैं, जिससे दोनों गठबंधनों के आंतरिक समीकरण बिगड़ सकते हैं।
कई सीटों पर वोटों का सीधा कटाव होने की संभावना है, और यही कटाव तय करेगा कि पटना की कुर्सी पर कौन बैठेगा। एनडीए और महागठबंधन के लिए यह चरण इसलिए भी चुनौतीपूर्ण है क्योंकि छोटे दल ग्रामीण क्षेत्रों और जातीय समीकरणों में मजबूत पकड़ रखते हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि सहयोगी दलों ने अपेक्षित प्रदर्शन नहीं किया तो बड़े गठबंधनों के मुख्य दलों की जीत की राह मुश्किल हो सकती है। ऐसे में “छोटे दल, बड़ा असर” वाली स्थिति बनना तय है।
बिहार चुनाव में गठबंधनों की राजनीति और अंदरूनी समीकरण समझने के लिए पढ़ते रहें मिथिला हिन्दी न्यूज।