सोशल मीडिया पर असंतोष जताना पड़ा महंगा, शिक्षकों से मांगा जा रहा स्पष्टीकरण


संवाद 

बिहार में प्रधान शिक्षक पद पर योगदान देने के बावजूद वेतन नहीं मिलने से परेशान शिक्षकों की मुश्किलें अब और बढ़ गई हैं। सोशल मीडिया पर बनाए गए शिक्षक समूहों में वेतन और विभागीय अव्यवस्थाओं को लेकर की जा रही चर्चा अब उनके लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है।

शिक्षकों का कहना है कि प्रधान शिक्षक पद पर योगदान देने के बाद से अब तक वेतन का भुगतान नहीं हुआ है। विभागीय स्तर पर समाधान न मिलने से मजबूर होकर वे सोशल मीडिया ग्रुप में अपनी पीड़ा साझा कर रहे थे। इसी दौरान “वेतन के लिए किरानी से नहीं, निगरानी से मिलिए”, “ना जाने विभाग कब सुध लेगा” जैसी टिप्पणियां ग्रुप चैट में सामने आईं।

बताया जा रहा है कि शिक्षा विभाग ने इन चर्चाओं को गंभीरता से लिया है और सोशल मीडिया ग्रुप में असंतोष जताने वाले शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है। सिर्फ पटना जिले में ऐसे कम से कम पांच मामले सामने आए हैं, जहां शिक्षकों को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया गया है।

शिक्षक संगठनों का कहना है कि वेतन जैसी बुनियादी समस्या उठाना अनुशासनहीनता नहीं है, बल्कि यह उनकी मजबूरी है। वहीं विभाग का पक्ष है कि सोशल मीडिया पर अमर्यादित भाषा और विभाग की छवि खराब करने वाली टिप्पणियों पर कार्रवाई जरूरी है।

अब सवाल यह उठ रहा है कि वेतन भुगतान में देरी से जूझ रहे शिक्षक अपनी बात आखिर कहां और कैसे रखें, ताकि उन्हें कार्रवाई का सामना न करना पड़े।

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