अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में नवादा के व्यंग्य कवि उदय भारती का जलवा


गाजियाबाद के तारांजलि फाउंडेशन के तत्वावधान में ऑनलाइन लाइव में जुटे असम, नोएडा, हैदराबाद, पश्चिम बंगाल और नवादा, बिहार के कवि-कवियित्री और व्यंग्यकार

नवादा जिले के हिसुआ निवासी व्यंग्यकार ने हिन्दी की गरिमा, क्षेत्रिय भाषाओं की उपेक्षा और भाषाई एकता के संदेश लिए बरसायी व्यग्यं की धारा

ब्यूरोचीफ आलोक वर्मा

 नवादा जिले में हिन्दी का विरोध करने वाला तू सच्चा हिन्दुस्तानी नहीं है. बड़ा मजबूत जोड़ है भाषाई एकता का इसे कोई हिला नहीं सकता. शुक्रवार को देर शाम हुए अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में नवादा के व्यंग्य का जलवा दिखा। हिसुआ निवासी व्यंग्यकार उदय भारती ने हिन्दी की गरिमा, क्षेत्रिये भाषाओं की उपेक्षा, भाषाई एकता और बिहारी स्मिता का संदेश लिए व्यंग्य की धारा से लोगों को काफी प्रभावित किया। नवादा और हिसुआ के लोग इस ऑनलाईन लाइव को फेसबुक और यूट्यूब से देख रहे और कमेंट कर रहे थे। तारांजलि फाउंडेशन गाजियाबाद के काव्य रस धारा के काव्योत्सव में असम, नोएडा, हैदराबाद, पश्चिम बंगाल, हरियाणा के कवि और कवियित्री जुटे थे। 
हिसुआ के डॉ. शैलेंद्र कुमार प्रसून, शिक्षक सतीश कुमार, प्रो. शंभु शरण सिंह, प्रो. अंजनी कुमार, बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी निरंजन बरनवाल, सविता बरनवाल, रामकृष्णा, उपेंद्र पथिक, जितेंद्र अर्यण, निशांत चंद्रवंशी, नालंदा के राकेश बिहारी शर्मा सहित सैकड़ों लोगों ने सराहा और खुशी जाहिर की। 
कार्यक्रम की शुरूआत फाउंडेशन की अध्यक्षा शैलजा सिंह के कवि परिचय और गीत से हुआ। शैलजा सिंह ने इस दौर ने कितनों को बदलना सीखा दिया जो डगमगा रहे थे उन्हें संभलना सीखा दिया से समय और सृजन की शक्ति को रेखांकित किया। पूर्वोत्तर असम की रीता सिंह सर्जना ने पूर्वाई बिहु गाकर सबको लुभाया। जिया सबके लिए हर पल कभी मांगा नहीं कुछ कविता से प्रभाव रखा तो हां मैं एक मजदूर हूं, मेरी दिहाड़ी पर टिकी रहती पेट को बुझाने वाली उम्मीदें से मजदूर के दर्द को रखा। उत्तर प्रदेश गोरखपुर व नोएडा के डॉ शीश पाठक ने- हे प्रखर राष्ट्र के दीपक, अंतिम क्षण तक लड़ना काव्य पंक्ति से हौसला और जीवन की आशाओं को रेखांकित किया. साथ ही मेहनतकशों की जिन्दगी की जद्दोजहद पर प्रभावशाली पंक्तियां कही। पश्चिम बंगाल की अनीमा मंडल ने हंसगुल्ले से सबकों हंसाया, लुभाया। दिले नादां की दवा हूं मैं, इश्क करने की अदा हूं मैं की पंक्तियों से प्रेम फुहार बरसायी। अपनी आशु कवि प्रतिभा को दिखाते हुए सभी कवि-कवित्रियों पर ही हास्य-वाण चला दिया। व्यंग्यकार उदय भारती ने अपनी सुसंस्कत मातृभाषा की पूरी दुनिया में कोई सानी नहीं है, हिन्दी का विरोध करने वाला तू सच्चा हिन्दुस्तानी नहीं है। भाषाई एकता का यहां बड़ा मजबूत जोड़ है इसे तू हिला नहीं सकता की पंक्तियों से हिन्दी और क्षेत्रिये भाषा की उपेक्षा और भेद पर प्रहार किया।
हैदराबाद की राजभाषा सहायक निदेश डॉ. अर्चना पांडेय ने विद्वता भरी पंक्तियों के साथ मंच संचालन किया। सरस्वती बंदना, हिन्दी की गरिमा और नारी शक्ति व सीता की अग्निपरीक्षा से गुजरती कंगना के पक्ष की कविताओं से सबको प्रभावित किया। आयोजन के लिए तारांजलि के संरक्षक डॉ तारा सिंह अंशुल, अध्यक्षा सैलजा सिंह, सचिव सुनीता सिंह सहित सभी देखने, लाइक और कमेंट करने वाले लोगों को धन्यवाद दिया।

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