मगही भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की उठी मांग, जीतनराम मांझी ने सरकार से प्रस्ताव पास कराने को कहा


संवाद 

पटना। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतनराम मांझी ने मगही भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की जोरदार मांग की है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार को चाहिए कि वह विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर इसे केंद्र सरकार को भेजे।

जीतनराम मांझी ने कहा,

> "मगही हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और पहचान की भाषा है। इसे संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिए सरकार को अब गंभीरता दिखानी चाहिए।"




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📘 8वीं अनुसूची क्या है?

भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में देश की 22 भाषाओं को मान्यता प्राप्त है। किसी भाषा को इसमें शामिल करने पर उसे

सरकारी कामकाज में स्थान

शिक्षा और परीक्षाओं में अवसर

भाषायी संरक्षण का संवैधानिक अधिकार
मिलता है।



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🗣 मगही भाषा की स्थिति

मगही भाषा मुख्य रूप से गया, नवादा, जहानाबाद, औरंगाबाद, पटना व शेखपुरा जिलों में बोली जाती है।

यह मगध क्षेत्र की प्रमुख भाषा है और इसका साहित्य एवं संस्कृति बेहद समृद्ध है।

इसे पहले से ही लोक भाषा और साहित्यिक भाषा के रूप में पहचान मिल चुकी है।



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🔎 पहले भी उठी है मांग

इससे पहले भी कई समाजसेवी, साहित्यकार और संगठन मगही को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग कर चुके हैं, लेकिन अब तक केंद्र सरकार की ओर से कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ है।



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