पटना:
बिहार सरकार द्वारा हाल ही में गठित राज्य सफाई कर्मचारी आयोग को लेकर सियासत तेज हो गई है। जहां बीजेपी और जदयू इसे सामाजिक न्याय की दिशा में ऐतिहासिक पहल बता रहे हैं, वहीं राजद और कांग्रेस ने इसे चुनावी स्टंट करार देते हुए नीतीश सरकार पर निशाना साधा है।
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🔹 क्या है यह आयोग?
बिहार में गठित यह आयोग एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और पांच सदस्यों वाला निकाय होगा, जिसमें एक महिला या ट्रांसजेंडर प्रतिनिधि भी शामिल रहेगा। इसका उद्देश्य सफाई कार्यों से जुड़े वंचित वर्गों के लोगों को मुख्यधारा में लाना और उनके सामाजिक एवं आर्थिक विकास को सुनिश्चित करना है।
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🔹 बीजेपी-जदयू का समर्थन
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने कहा –
> "मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समाज के सबसे पिछड़े वर्ग के लिए यह बड़ा कदम उठाया है। इससे उन्हें सम्मान और अधिकार दोनों मिलेगा।"
जदयू प्रवक्ता ने इसे "सामाजिक न्याय और समावेशिता की दिशा में नीतीश मॉडल" बताया।
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🔹 विपक्ष का हमला
राजद प्रवक्ता मनोज झा ने कहा –
> "चुनाव नजदीक आते ही नीतीश सरकार को गरीब और वंचित वर्ग की याद आती है। इस आयोग का कोई ठोस आधार नहीं है, सिर्फ वोट बैंक साधने की कोशिश है।"
कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा ने तंज कसते हुए कहा –
> "नीतीश जी को 20 साल बाद सफाईकर्मियों की याद आई है? इससे पहले क्या कर रहे थे?"
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🔹 राजनीतिक मायने
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह फैसला पिछड़े और दलित वर्ग में साफ-सफाई से जुड़े समुदायों को साधने की कोशिश है, जिनकी आबादी कई विधानसभा क्षेत्रों में निर्णायक है। यह आयोग सामाजिक न्याय के एजेंडे को मजबूत करने और विपक्ष की रणनीति को टक्कर देने की दिशा में एक रणनीतिक कदम हो सकता है।