रोहित कुमार सोनू
छठ महापर्व की पवित्र शुरुआत नहाय-खाय के साथ हो चुकी है, और अब कल यानी 26 अक्टूबर को शुभ खरना पूजन संपन्न किया जाएगा। यह दिन छठ व्रत का अत्यंत महत्वपूर्ण चरण होता है, जिसे लोहंडा या खरना भी कहा जाता है।
क्या होता है खरना के दिन?
इस दिन व्रती सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक बिना जल ग्रहण किए निर्जला उपवास रखते हैं। दिन भर शुद्धता, संकल्प और मानसिक एकाग्रता के साथ छठी मैया तथा सूर्य देव की आराधना की जाती है।
शाम को होता है प्रसाद का अर्पण
सूर्यास्त के पश्चात स्वच्छ वातावरण में छठी मैया की पूजा की जाती है। इस दौरान पूजा के लिए विशेष प्रसाद तैयार किया जाता है, जिसमें शामिल होते हैं—
✅ गेहूं के आटे और गुड़ से बना रोटी/ठेकुआ
✅ चावल और गुड़ या शुद्ध देसी घी में पकाया हुआ गुड़ का खीर (रसिया)
✅ केले और गन्ना
✅ तुलसी पत्ता
व्रती सबसे पहले छठी मैया और सूर्य देव को यह प्रसाद अर्पित करते हैं और फिर प्रसाद ग्रहण कर अपना उपवास तोड़ते हैं।
परिवार और समाज में प्रसाद वितरण
छठ पर्व की सबसे विशेष बात इसका सामाजिक मेल-जोल और पवित्रता से भरा भावनात्मक उत्सव होना है। खरना के बाद प्रसाद को परिवार, मित्रों और आसपास के लोगों में बांटा जाता है। सभी इस प्रसाद को आशीर्वाद स्वरूप ग्रहण करते हैं।
खरना का आध्यात्मिक महत्व
खरना व्रत को आत्मशुद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसे व्रती के तप और संयम का पहला पड़ाव भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन छठी मैया अपनी कृपा दृष्टि व्रती और उसके परिवार पर बनाए रखती हैं।
छठ महापर्व के साथ जुड़े रहिए, हर महत्वपूर्ण जानकारी के लिए पढ़ते रहिए —
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