दरभंगा में चुनावी सभा में ‘मिथिला पाग’ पर विवादित बयान, BJP विधायक केतकी सिंह की टिप्पणी से मचा बवाल

रोहित कुमार सोनू 



बिहार विधानसभा चुनाव के बीच दरभंगा के अलीनगर में विवाद तब खड़ा हो गया, जब बीजेपी प्रत्याशी मैथिली ठाकुर के समर्थन में प्रचार करने आई उत्तर प्रदेश की भाजपा विधायक केतकी सिंह ने मिथिला की सांस्कृतिक अस्मिता के प्रतीक “पाग” को लेकर ऐसा बयान दे दिया, जिसे लेकर क्षेत्र में आक्रोश फैल गया।

प्रचार भाषण के दौरान कहा गया कथन का वायरल अंश इस प्रकार सामने आया –
“मिथिला का जो पाग है, वह सिर्फ एक पाग है, मिथिला का शान नहीं है, बल्कि मैथिली (ठाकुर) मिथिला का सम्मान और शान हैं।”

इस बयान के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर वीडियो तेजी से वायरल हो गया, और लोगों ने इसे मिथिला की सांस्कृतिक पहचान का अपमान बताया।


‘मिथिला पाग’ मिथिला की शान, विरोधियों ने बोला हमला

मालूम हो कि ‘मिथिला पाग’ सिर्फ एक टोपी नहीं, बल्कि इसे मिथिला की पहचान, गरिमा और गौरव का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में इसे “सिर्फ एक पाग” कहे जाने पर मिथिलांचल में कई लोग आक्रोशित हो उठे।

स्थानीय लोगों के साथ-साथ विपक्षी दलों के नेताओं ने इस बयान की कड़ी निंदा करते हुए इसे मिथिला की संस्कृति पर प्रहार करार दिया। कई लोगों ने मांग की कि विधायक माफी मांगें।


विरोध का स्वर: सांस्कृतिक अपमान बर्दाश्त नहीं

कई स्थानीय बुद्धिजीवियों, कलाकारों और समाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि मैथिली ठाकुर का समर्थन करने में किसी को आपत्ति नहीं, परंतु मिथिला के प्रतीकों का अपमान किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं।
सोशल मीडिया पर #MithilaPag की गरिमा बचाने की चर्चा तेज हो गई।


केतकी सिंह ने दी सफाई – “बयान तोड़-मरोड़कर पेश किया गया”

विवाद बढ़ने पर यूपी की विधायक केतकी सिंह ने दावा किया कि उनके बयान को गलत ढंग से पेश किया गया है। सफाई में उन्होंने कहा –
“मैंने मिथिला की परंपरा को कभी अपमानित नहीं किया। मैं यह कहना चाहती थी कि जितना सम्मान मिथिला पाग को दिया जाता है, उतना ही सम्मान हमारी बेटियों को भी मिलना चाहिए। मैथिली ठाकुर जैसी बेटियां हमारे लिए गर्व का विषय हैं।”

उन्होंने कहा कि उन्होंने मिथिला पाग का सम्मान कम नहीं, बल्कि बेटी को उसी स्तर पर सम्मान देने की बात कही थी।


विवाद चुनावी हवा में तूल पकड़ता दिख रहा है

विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के बयानों का असर चुनावी समीकरणों पर पड़ सकता है, खासकर उसी क्षेत्र में जहां सांस्कृतिक और भावनात्मक जुड़ाव एक बड़ा फैक्टर होता है।
कुछ लोगों का कहना है कि यह बयान अनजाने में बोला गया हो सकता है, लेकिन इसने मिथिलांचल की भावनाओं को चोट जरूर पहुंचाई है।


क्या सांस्कृतिक प्रतीकों पर बयानबाजी राजनीतिक नुकसान का कारण बनेगी?

अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या यह विवाद सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित रहेगा, या यह चुनावी मैदान में भी असर डालेगा। फिलहाल, मिथिला पाग बनाम बयान का मुद्दा धीरे-धीरे एक बड़े सांस्कृतिक विमर्श की शक्ल लेता दिखाई दे रहा है।


मिथिला की परंपराओं को लेकर भावनाएं गहरी हैं – किसी भी राजनीतिक मंच पर बोले गए शब्द केवल चुनावी भाषण नहीं, बल्कि संस्कृति की इज्जत से जुड़े माने जाते हैं।

पढ़ते रहिए – मिथिला हिन्दी न्यूज
संपादक – रोहित कुमार सोनू



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