संवाद
मिथिला क्षेत्र में आज पारंपरिक उल्लास और श्रद्धा के साथ प्रसिद्ध पर्व कोजागरा मनाया जा रहा है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराओं का प्रतीक भी है।
कोजागरा की विशेषता यह है कि इस अवसर पर नवविवाहित दूल्हे को वधु पक्ष की ओर से पांच टूक कपड़ा दिया जाता है, जिसमें पाग और दोपटा का विशेष स्थान होता है। इसी परंपरा को निभाने के लिए इन दिनों बाजारों में खास रौनक देखी जा रही है। वधू और वर पक्ष के लोग पाग और दोपटा की खरीदारी में व्यस्त हैं।
मिथिला में बनी पाग न केवल सम्मान का प्रतीक है, बल्कि यह प्रत्येक शुभ कार्य का अभिन्न हिस्सा भी मानी जाती है। विवाह, उपनयन, मुंडन या कोजागरा — किसी भी मांगलिक कार्य में पाग पहनना आवश्यक माना गया है। यही कारण है कि कोजागरा जैसे पर्व पर पाग की मांग में भारी वृद्धि देखी जा रही है।
स्थानीय पटवा दुकानों में रंग-बिरंगी, डिजाइनदार और आकर्षक पागों की भरमार है। बदलते समय के साथ मिथिला के कारीगरों ने भी पाग को आधुनिक रूप दिया है ताकि यह युवाओं को भी आकर्षित करे। दिलचस्प बात यह है कि यहां से कई नवविवाहित युवकों के लिए पाग विदेशों में भी भेजी जा रही है, जिससे प्रवासी मैथिल भी अपनी परंपरा से जुड़े रह सकें।
शाम में कोजागरा पूजा के दौरान नवविवाहित दूल्हों को पाग पहनाकर उनके अभिभावक या बड़े बुजुर्ग आशीर्वाद देंगे। मिथिला की यह परंपरा न केवल सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखती है बल्कि पारिवारिक एकता और आस्था का भी प्रतीक है।
मौसम खुशगवार है और लोगों में उत्साह चरम पर — कोजागरा की शुभकामनाओं के साथ मिथिला आज एक बार फिर अपनी पारंपरिक आभा में जगमगा उठेगा।
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