बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, सूबे की राजनीति में एक बार फिर “विकास बनाम जंगलराज” की बहस तेज हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू लगातार इस बात का जिक्र कर रहे हैं कि उन्होंने 2005 के बाद बिहार को पूरी तरह बदल दिया।
नीतीश कुमार का दावा है कि उनके कार्यकाल में राज्य में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं में जबरदस्त सुधार हुआ है। वहीं, एनडीए के अन्य नेता भी 2005 से पहले के दौर को “जंगलराज” बताते हुए आरजेडी सरकार पर भ्रष्टाचार और कानून-व्यवस्था की बदहाली के आरोप दोहरा रहे हैं।
विपक्षी महागठबंधन, खासकर तेजस्वी यादव, का कहना है कि नीतीश कुमार अब पुराने मुद्दों पर जनता को भ्रमित नहीं कर सकते। उनका आरोप है कि 20 साल के शासन के बाद भी बेरोजगारी और पलायन जैसी समस्याएं जस की तस हैं।
बिहार की सियासत में यह बहस हर चुनाव में लौटती है — इस बार भी जनता के बीच यही सवाल गूंज रहा है कि क्या नीतीश का विकास मॉडल फिर से काम करेगा या जनता बदलाव चाहेगी।
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