रोहित कुमार सोनू
हर तरफ दीपों की जगमगाहट है। दरभंगा से लेकर आगरा तक, दिल्ली से पटना और अयोध्या से सीतामढ़ी तक दीपावली का पर्व एक अद्भुत उत्सव का रूप ले चुका है। सड़कों पर रौनक है, घरों में सजावट है और दिलों में उमंग। ऐसा लगता है मानो पूरा देश एक ही धुन पर झूम रहा हो—“अंधकार से प्रकाश की ओर।”
दरभंगा में मिथिला की पारंपरिक दीये
मिथिला की धरती दरभंगा में पारंपरिक लाल मिट्टी के दीये और अरिपन की सजावट ने त्योहार को सांस्कृतिक रंग दिया है। यहाँ की महिलाएं दरवाजे पर अरिपन रचकर दीप जलाती हैं और राम-सीता की पूजा पूरे विधि-विधान से करती हैं।
दिल्ली और आगरा चमक रहे हैं रोशनी से
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सड़कों को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया गया है। मॉल, बाज़ार और कॉलोनियां इलेक्ट्रिक लाइटों की लड़ी से जगमगा उठी हैं। वहीं ताजमहल के शहर आगरा में पर्यटक दीपों की रौशनी में स्मारकों की छवि को निहारते नहीं थक रहे।
पटना में गंगा आरती और दीपोत्सव
बिहार की राजधानी पटना में दीया महोत्सव अलग ही छटा बिखेर रहा है। गंगा घाटों पर हजारों दीपों से होने वाली आरती एक आध्यात्मिक अनुभव देती है। लोग परिवार संग तस्वीरें खींचते हुए खुशियों को कैद कर रहे हैं।
अयोध्या में बना दीयों का समंदर
भगवान राम की नगरी अयोध्या ने इस दिवाली फिर रिकॉर्ड कायम करने की तैयारी की है। लाखों दीप जलाकर अयोध्या श्रद्धा और प्रकाश की राजधानी बन गई है। “जय श्रीराम” के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा है।
सीतामढ़ी में माता जानकी के नाम की रोशनी
माता सीता की जन्मभूमि सीतामढ़ी में भी दीपों की सजावट और जागरण की ध्वनियाँ गूंज रही हैं। यहाँ की रोशनी श्रद्धा और भावनाओं का संगम प्रस्तुत करती है।
रिश्तों में घुली मिठास और दिलों में उम्मीद
दिवाली सिर्फ रोशनी की नहीं, बल्कि रिश्तों को जोड़ने, परिवार को एक करने और उम्मीदों को जीवित रखने का त्योहार है। छोटे-बड़े सब मिलकर पूजा की थाली में दीप सजा रहे हैं और भगवान से सुख-समृद्धि की कामना कर रहे हैं।
दिवाली की यह रौनक सिर्फ शहरों में नहीं, बल्कि गाँवों की कच्ची पगडंडियों तक पहुँच चुकी है। मिट्टी के घरों में भी आज उम्मीद की लौ जल रही है।
त्योहार खुशियों का संदेश देता है—अंधकार चाहे कितना भी गहरा हो, एक दीप ही उसे हराने के लिए काफी है।
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