रोहित कुमार सोनू
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को समर्पित आस्था, तप और परंपरा का सबसे बड़ा सूर्य उपासना त्योहार छठ महापर्व आज नहाय-खाय के साथ बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ प्रारंभ हो गया है। पंचांग के अनुसार यह पावन व्रत चतुर्थी से आरंभ होकर सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करके संपन्न होता है। संतान की लंबी उम्र, उत्तम स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ यह व्रत रखा जाता है।
सबसे कठिन व्रतों में से एक
छठ पूजा को सबसे कठिन और अनुशासित व्रतों में गिना जाता है। व्रती 36 घंटों तक कठोर नियमों का पालन करते हुए निर्जला उपवास रखते हैं। यह व्रत श्रद्धा, शुद्धता और आत्मबल का प्रतीक है।
कद्दू-भात से हुआ शुभारंभ
शनिवार सुबह नहाय-खाय के साथ कद्दू-भात प्रसाद के रूप में ग्रहण कर चार दिवसीय अनुष्ठान का शुभारंभ हुआ। बाजारों में 50 से 100 रुपये तक कद्दू की बिक्री जोरों पर रही। इसके बाद कल खरना की तैयारियों में लोग जुट चुके हैं। गेहूं और अन्य सामग्रियों की शुद्धता के साथ सफाई अभियान शुरू हो गया है।
पूजन सामग्री की खरीदारी में भीड़
बाजारों में सूप, नारियल, डाला, टाभ, नींबू, फल और पूजन सामग्री की दुकानों पर सुबह से शाम तक भीड़ लगी रही। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में छठ की रौनक देखते ही बन रही है। महंगाई के बावजूद लोग श्रद्धा के साथ आवश्यक सामग्री खरीद रहे हैं।
छठ पर्व के दौरान सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
| तिथि | पर्व | सूर्योदय | सूर्यास्त |
|---|---|---|---|
| 25 अक्तूबर (शनिवार) | नहाय-खाय | सुबह 6:27 बजे | शाम 5:41 बजे |
| 26 अक्तूबर (रविवार) | खरना | सुबह 6:34 बजे | शाम 5:40 बजे |
| 27 अक्तूबर (सोमवार) | संध्या अर्घ्य | सुबह 6:29 बजे | शाम 5:39 बजे |
| 28 अक्तूबर (मंगलवार) | उगते सूर्य को अर्घ्य एवं पारण | सुबह 6:29 बजे | शाम 5:38 बजे |
चार दिवसीय छठ पूजा क्रम
- 25 अक्तूबर (शनिवार) – नहाय-खाय
- 26 अक्तूबर (रविवार) – खरना (लापसी/रसोई)
- 27 अक्तूबर (सोमवार) – संध्या अर्घ्य (डूबते सूर्य की आराधना)
- 28 अक्तूबर (मंगलवार) – उगते सूर्य को अर्घ्य और पारण
शारदा सिन्हा की आवाज में गूंजा लोक आस्था का स्वर
छठ आते ही एक बार फिर शारदा सिन्हा के गीतों की गूंज हर घर-आंगन में सुनाई देने लगी है। ‘हो दीनानाथ’ जैसे लोकप्रिय गीत छठ की तैयारी, घाट की सजावट और सूर्य उपासना के भावों को जीवंत करते हैं। उनकी आवाज में गांव की मिट्टी की खुशबू और लोक संस्कृति का अनमोल एहसास आज भी दिलों को छू जाता है।
शारदा सिन्हा न सिर्फ़ छठ गीतों की रानी कही जाती हैं, बल्कि उन्होंने बिहार और पूर्वांचल की लोकसंस्कृति को नई पहचान दी। इस बार भी छठ महापर्व उनके गीतों से सजेगा।
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