संवाद
छठ पूजा नज़दीक है और बिहार व पूर्वांचल के प्रवासी कामगार अपने घर लौटने को बेसब्र हैं। लेकिन इस बार उनके चेहरों पर उत्साह से ज्यादा मायूसी छाई हुई है। वजह है—रेलवे टिकटों का भारी संकट। रेलवे द्वारा लगातार स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं, फिर भी कन्फर्म टिकट पाना लगभग नामुमकिन हो गया है।
15-20 मिनट में फुल हो जाती हैं सभी ट्रेनें
दिल्ली से पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सीतामढ़ी, मधुबनी, हाजीपुर और समस्तीपुर जाने वाली सभी प्रमुख ट्रेनों में वेटिंग लिस्ट बेतहाशा बढ़ चुकी है। जैसे ही ट्रेनें बुकिंग के लिए खुलती हैं, 15-20 मिनट के अंदर ही सभी सीटें भर जाती हैं।
रेलवे सूत्रों के मुताबिक 25 अक्टूबर तक किसी भी दिन का कन्फर्म टिकट मिलना लगभग असंभव हो गया है।
घर की यादों के बीच मजबूरी – दिल्ली-एनसीआर में ही मनाएंगे छठ
टिकट न मिलने की स्थिति में दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम की कई सोसायटियों में रहने वाले प्रवासी परिवारों ने एकजुट होकर छठ की तैयारी शुरू कर दी है।
- कुछ सोसायटियों में कृत्रिम तालाब तैयार किए जा रहे हैं।
- कई जगहों पर सोसायटी परिसर के बाहर अस्थायी घाट सजाए जा रहे हैं।
- दशमी से ही महिलाएं व्रत की तैयारी में जुट गई हैं।
यह सिर्फ त्योहार नहीं, भावनाओं का उत्सव है
प्रवासी परिवारों का कहना है कि जब टिकट नहीं मिल रही, तो महापर्व को छोड़ना संभव नहीं। ऐसे में वे यहीं सामूहिक रूप से छठ मनाएंगे। कई सोसायटियों में स्थानीय लोगों और बच्चों के बीच भी इस पर्व को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है।
रेलवे की चुनौती बनी भारी मांग
रेलवे प्रशासन स्पेशल ट्रेनों की संख्या बढ़ा रहा है, लेकिन बिहार और पूर्वांचल जाने वाले यात्रियों की संख्या इतनी अधिक है कि मांग के मुकाबले सुविधा कम पड़ रही है। ऐसे में कई लोग बसों और कारपूल के माध्यम से भी घर लौटने की कोशिश कर रहे हैं।
अब उम्मीद छठ पूजा की आस्था से
टिकट संकट के बीच, लोगों की उम्मीद अब छठी मैया की कृपा पर टिकी है। चाहे घर की मिट्टी दूर रह जाए, लेकिन आस्था हर दिल में जिंदा है। छठ घाट चाहे गंगा किनारे हो या दिल्ली की किसी सोसायटी के भीतर, भावनाएं वही रहेंगी—संतान की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली की कामना।
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