संवाद
आज 18 अक्टूबर 2025 को देशभर में धनतेरस का त्योहार मनाया जा रहा है। दीपावली से दो दिन पहले आने वाला यह पर्व समृद्धि, आरोग्य और धन की देवी माता लक्ष्मी, धन के देवता भगवान कुबेर और चिकित्सा के देवता भगवान धन्वंतरि को समर्पित है।
लेकिन अक्सर लोगों के मन में सवाल आता है कि —
👉 धनतेरस के ही दिन पूजा क्यों की जाती है?
👉 दीपावली की मुख्य पूजा तो अमावस्या को होती है, फिर धनतेरस का विशेष महत्व क्यों है?
आइए जानते हैं कारण 👇
🌟 1. धनतेरस से शुरू होती है दीपावली की पवित्र पंचदिवसी
धनतेरस से दीपावली के पांच दिवसीय त्योहार की शुरुआत होती है —
1️⃣ धनतेरस
2️⃣ नरक चतुर्दशी
3️⃣ दीपावली (अमावस्या)
4️⃣ गोवर्धन पूजा
5️⃣ भैया दूज
इसलिए धनतेरस को शुभारंभ का दिन माना गया है और इस दिन लक्ष्मी-कुबेर पूजन से पूरे पांच दिनों में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
💰 2. धन और आरोग्य की प्राप्ति का दिन
पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर इस दिन प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन स्वास्थ्य, दीर्घायु और धन की कामना की जाती है।
इसी कारण लोग इस दिन सोना, चांदी या बर्तन खरीदते हैं — जो समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं।
🪔 3. कुबेर और लक्ष्मी की कृपा पाने का श्रेष्ठ समय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, धनतेरस की शाम को प्रदोष काल में शुभ ग्रह स्थिति बनती है, जब लक्ष्मी-कुबेर पूजन से धन की वृद्धि होती है।
यह वही समय है जब शुभ ग्रहों का योग बनकर अक्षय फल देता है।
🌙 4. चतुर्दशी और अमावस्या का संगम काल
धनतेरस का दिन त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, जो अमावस्या से पहले आती है।
इस तिथि में पूजा करने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती है।
🌼 5. परंपरा और आस्था का प्रतीक
सदियों से यह मान्यता है कि जो व्यक्ति धनतेरस की शाम लक्ष्मी-कुबेर की पूजा करता है और दीपदान करता है, उसके घर में दरिद्रता नहीं आती और आय के स्रोत बढ़ते हैं।
यही कारण है कि देशभर में अधिकांश लोग धनतेरस के दिन ही पूजा करते हैं।
धनतेरस की पूजा लक्ष्मी-कुबेर और धन्वंतरि देवता की आराधना के लिए सबसे शुभ दिन है।
यह पूजा केवल धन की नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति का प्रतीक है।
🪔 मिथिला हिन्दी न्यूज की ओर से आपको और आपके परिवार को
धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं।
आपके जीवन में धन, स्वास्थ्य और खुशियों का प्रकाश हमेशा बना रहे।
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