रोहित कुमार सोनू
भारत में दिवाली का पर्व रोशनी, खुशियों और उत्सव का प्रतीक है। उत्तर भारत से लेकर बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र तक हर जगह दीपों की जगमगाहट और लक्ष्मी पूजन का माहौल होता है। लेकिन देश का एक राज्य ऐसा है — केरल, जहां दिवाली की वैसी धूम नहीं दिखाई देती जैसी बाकी राज्यों में देखने को मिलती है।
आइए जानते हैं, आखिर केरल में दिवाली क्यों नहीं मनाई जाती 👇
🌙 1. राजा महाबली की कथा से जुड़ा संबंध
केरल में दिवाली को लेकर सबसे बड़ा सांस्कृतिक कारण राजा महाबली की कथा से जुड़ा है।
मान्यता है कि इस दिन राजा महाबली, जो बहुत ही दयालु और न्यायप्रिय थे, भगवान विष्णु के वामन अवतार द्वारा पाताल लोक भेजे गए थे।
कहा जाता है कि इस दिन राजा महाबली की मृत्यु या उनके पृथ्वी से प्रस्थान का दिन है।
इसी कारण केरल के लोग इस दिन उत्सव नहीं मनाते, बल्कि शांतिपूर्वक दिन व्यतीत करते हैं।
🪔 2. दिवाली की जगह ओणम का महत्व
केरल में दिवाली की तुलना में ओणम त्योहार को बहुत बड़े स्तर पर मनाया जाता है।
ओणम भी राजा महाबली से जुड़ा त्योहार है — जब कहा जाता है कि महाबली साल में एक बार अपने प्रजा से मिलने धरती पर आते हैं।
इस दिन पूरा केरल फूलों, सजावट, नौका-दौड़ और भोजन (ओणम साध्या) से जगमगा उठता है।
यानी, जहां उत्तर भारत में राम के अयोध्या लौटने की खुशी में दीपावली मनाई जाती है, वहीं केरल में राजा महाबली के स्वागत में ओणम मनाया जाता है।
🙏 3. धार्मिक कारण और मान्यताएं
कुछ विद्वानों के अनुसार, केरल में दिवाली का धार्मिक महत्व उतना प्रबल नहीं है जितना उत्तर भारत में।
दिवाली मुख्य रूप से भगवान राम के अयोध्या लौटने या लक्ष्मी पूजन से जुड़ी है, जबकि केरल में भगवान विष्णु और महाबली की कथा प्रमुख धार्मिक परंपरा का हिस्सा है।
🌸 4. यहां लोग शांति से करते हैं पूजा
केरल के कुछ हिस्सों में दिवाली पूरी तरह नहीं, बल्कि शांतिपूर्वक तरीके से मनाई जाती है।
लोग घरों में दीप जलाते हैं, पूजा करते हैं और परिवार के साथ समय बिताते हैं, लेकिन पटाखों या बड़े जश्न का आयोजन नहीं होता।
🎇 5. अन्य त्योहारों की प्रमुखता
केरल में ईद और क्रिसमस जैसे त्योहार भी बहुत बड़े स्तर पर मनाए जाते हैं।
यहां धार्मिक विविधता है — हिंदू, मुस्लिम और ईसाई समुदायों की जनसंख्या संतुलित है, इसलिए त्योहारों का जश्न हर धर्म के अनुसार अलग-अलग रूप में मनाया जाता है।
🌏 6. दक्षिण भारत के अन्य हिस्सों में भी यही परंपरा
केरल ही नहीं, बल्कि तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी दिवाली का स्वरूप थोड़ा अलग है।
यहां लोग नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) को अधिक महत्व देते हैं — जो असुर नरकासुर के वध से जुड़ा पर्व है।
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केरल में दिवाली का जश्न भले ही उतना भव्य नहीं होता, लेकिन यहां की सांस्कृतिक गहराई और धार्मिक विविधता अपने आप में अनोखी है।
लोग अपने राजा महाबली की स्मृति में शांति और सद्भाव का संदेश देते हैं — जो इस राज्य की असली पहचान है।
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