रोहित कुमार सोनू
छठ महापर्व केवल सूर्योपासना का पर्व नहीं है, बल्कि यह छठी मैया यानी षष्ठी देवी की आराधना का भी पावन अवसर है। इस देवी को मातृत्व, संतान सुख और जीवन की समृद्धि प्रदान करने वाली शक्ति के रूप में माना जाता है। छठ पर्व के धार्मिक महत्व को समझने के लिए छठी मैया के स्वरूप और उनसे जुड़ी मान्यताओं को जानना आवश्यक है।
🌺 छठी मैया कौन हैं?
छठी मैया को षष्ठी देवी कहा जाता है, जिनका उल्लेख कई पौराणिक कथाओं और लोक मान्यताओं में मिलता है। वे मुख्यतः संतान की रक्षक देवी मानी जाती हैं और बच्चों के जीवन में सुख, स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद देती हैं।
🔱 कार्तिकेय की पत्नी के रूप में छठी मैया
कुछ मान्यताओं में छठी मैया को भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय (मुरुगन/स्कंद) की पत्नी माना गया है। इस रूप में वे एक ऐसी देवी का स्वरूप धारण करती हैं जो संतान की सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखने वाले भक्तों पर विशेष कृपा करती हैं।
☀ सूर्य देव की बहन के रूप में मान्यता
लोक आस्था में यह भी कहा जाता है कि छठी मैया सूर्य देव की बहन हैं। इस मान्यता के अनुसार, जब व्रती सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं, तो वे अपनी बहन छठी मैया की कृपा के लिए सूर्य से विनती करते हैं। यही कारण है कि छठ पर्व में सूर्योपासना के साथ छठी मैया की पूजा का विशेष महत्व होता है।
👶 संतान की रक्षक देवी
षष्ठी देवी का नाम ही संस्कृत के शब्द “षष्ठी” से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है छठा दिन। ऐसा माना जाता है कि बच्चों के जन्म के छठे दिन उनका भविष्य निर्धारण छठी मैया करती हैं। इसलिए छठ पूजा मुख्यतः संतान सुख, परिवार की उन्नति और आने वाली पीढ़ियों के कल्याण के लिए किया जाता है।
🪔 छठ पूजा में छठी मैया की आराधना का महत्व
- संतान सुख और उनकी रक्षा के लिए
- परिवार में स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए
- सूर्य देव और उनकी बहन छठी मैया के आशीर्वाद हेतु
- आत्मिक शुद्धि और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्ति के लिए
🌸 आस्था और विश्वास से जुड़ा पर्व
छठी मैया की पूजा में दिखने वाला प्रेम, त्याग और समर्पण इस पर्व को विशेष बनाता है। बिना किसी भव्य सजावट या धूमधाम के, यह व्रत पूर्ण संयम और शुद्धता के साथ किया जाता है, जो छठी मैया की कृपा प्राप्त करने का माध्यम बनता है।
🙏 आस्था की यह डोर भक्तों के मन को देवत्व से जोड़ती है और छठी मैया की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है।
धार्मिक और सांस्कृतिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए – मिथिला हिन्दी न्यूज