छठ पर्व का दूसरा दिन ‘खरना’: गन्ने के रस और गुड़ की खीर से होती है पावन शुरुआत

संवाद 

छठ महापर्व का दूसरा दिन ‘खरना’ या ‘लोहंडा’ के नाम से जाना जाता है। यह दिन व्रती के लिए अत्यंत पवित्र और संकल्प का प्रतीक होता है। खरना के साथ ही छठ व्रत का सबसे कठोर चरण शुरू होता है, जहां श्रद्धालु 36 घंटे तक निर्जला उपवास का पालन करते हैं।


🌅 दिनभर का निर्जला व्रत और शुद्धता का संकल्प

खरना के दिन व्रती सुबह जल्दी स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं और पूरे दिन जल तक ग्रहण नहीं करते। यह दिन आत्मिक शुद्धता और संयम का प्रतीक माना जाता है।


🍚 गन्ने के रस या गुड़ की खीर का प्रसाद

संध्या समय सूर्यास्त के बाद खरना पूजा का आयोजन किया जाता है। इस दौरान प्रसाद के रूप में गन्ने के रस या गुड़ से बनी खीर तैयार की जाती है, जिसे ‘रसीया खीर’ कहा जाता है। माना जाता है कि गन्ना सूर्य की ऊर्जा का प्रतीक है, इसलिए इसका प्रयोग सूर्योपासना के इस पर्व में विशेष महत्व रखता है। इसके साथ सादी रोटी (जिसे कुछ स्थानों पर ‘रोटी/पूरी’ कहा जाता है) और केले को भी प्रसाद में शामिल किया जाता है।


🪔 पूजा की विधि

  • व्रती पूजा स्थल को गोबर व गंगाजल से शुद्ध करते हैं।
  • केले या गन्ने के डंठल की टोकरी से मंडप सजाया जाता है।
  • सूर्य देव और छठी मैया को दीप, धूप, जल और प्रसाद अर्पित किया जाता है।
  • श्रद्धापूर्वक प्रार्थना के बाद व्रती प्रसाद ग्रहण करते हैं। इसे ‘खरना प्रसाद’ कहा जाता है।

🤲 प्रसाद का वितरण और उपवास की शुरुआत

प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही व्रती अगले 36 घंटे तक निराहार और निर्जला व्रत की शुरुआत करते हैं। इस प्रसाद को परिवार के सदस्यों व आसपास के लोगों में बांटा जाता है, इसे ग्रहण करना शुभ माना जाता है।


✨ छठ पर्व का संदेश

खरना त्योहार का वह क्षण है जो पवित्रता, प्रकृति के प्रति आभार, संयम और विश्वास का प्रतीक है। यह जीवन में त्याग और समर्पण शक्ति का संदेश देता है।

छठी मैया और सूर्य देव की आराधना का यह पावन अवसर भक्तों के मन में आस्था और शांति का दीप प्रज्ज्वलित करता है।


🌼 छठ महापर्व की सभी श्रद्धालुओं को हार्दिक शुभकामनाएं।
धार्मिक खबरों के लिए जुड़े रहिए – मिथिला हिन्दी न्यूज

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.