छठ पूजा के रंगों में डूबा शारदा सिन्हा का संगीत

रोहित कुमार सोनू 

छठ पूजा, भारत के सबसे पवित्र और प्राचीन पर्वों में से एक, सूर्य देव और छठी मैया की आराधना का प्रतीक है। बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में विशेष रूप से मनाया जाने वाला यह पर्व न केवल श्रद्धा और भक्ति का संदेश देता है, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर का भी अद्भुत रूप प्रस्तुत करता है। इस पर्व की आत्मा को संगीत के माध्यम से जीवंत करने में शारदा सिन्हा ने अतुलनीय योगदान दिया है।

शारदा सिन्हा, जिन्हें ‘बिहार कोकिला’ के नाम से भी जाना जाता है, ने छठ पूजा गीतों को न केवल लोकसंगीत का दर्जा दिया, बल्कि इन्हें भावनाओं और भक्ति से भरपूर बनाया। उनकी मधुर आवाज़ और भावपूर्ण गायिकी ने हर गीत को श्रद्धालुओं के दिलों तक पहुँचाया।

शारदा सिन्हा के प्रसिद्ध छठ गीत

  1. हो दीनानाथ – यह गीत छठ व्रतियों में विशेष रूप से लोकप्रिय है। इसमें सूर्य देव और छठी मैया के प्रति असीम श्रद्धा और भक्ति व्यक्त की गई है।

  2. पहिले पहिले छठी मैया – यह गीत छठ पर्व के शुरुआती दिनों में गाया जाता है और व्रतियों के बीच मां छठी मैया की आस्था को जीवंत करता है।

  3. उठऊ सूरज, भइले बिहान – सूर्योदय के समय गाया जाने वाला यह गीत छठ पूजा की सबसे महत्वपूर्ण परंपराओं का वर्णन करता है।

  4. तोहे बड़का भैया हो – यह गीत परिवारिक भावनाओं और भाई-बहन के रिश्ते को भी छठ पूजा के संदर्भ में दर्शाता है।

  5. छठी मैया अइतन आज – इस गीत में छठी मैया के आगमन का उल्लास और व्रतियों की खुशी का अद्भुत चित्रण मिलता है।

छठ गीतों का सांस्कृतिक महत्व

शारदा सिन्हा के गीत केवल संगीत का माध्यम नहीं, बल्कि छठ पूजा की परंपरा और संस्कृति के जीवंत प्रतिनिधि हैं। उनकी गायिकी में श्रद्धा, भक्ति और लोकसंस्कृति का ऐसा मिश्रण है जो सुनने वालों के मन को भावविभोर कर देता है। इन गीतों में सूर्योदय और सूर्यास्त के महत्व, नदी और तालाब के किनारों पर अर्घ्य देने की परंपरा, और व्रतियों की मेहनत और समर्पण की झलक मिलती है।

यही वजह है कि शारदा सिन्हा के छठ गीत हर साल श्रद्धालुओं के बीच बड़े उत्साह के साथ गाए जाते हैं और इन्हें सुनना अपने आप में एक आध्यात्मिक अनुभव बन जाता है।

शारदा सिन्हा ने छठ पूजा को संगीत के माध्यम से नयी पहचान दी है। उनके गीत केवल लोकसंगीत नहीं, बल्कि छठ पर्व की भावनाओं और भक्ति का प्रतीक बन गए हैं। आज भी जब छठ के व्रती नदी या तालाब के किनारे अर्घ्य देते हैं, तो उनके गीतों की मधुर ध्वनि वातावरण को पवित्रता और आनंद से भर देती है।

छठ पूजा और शारदा सिन्हा के गीत एक-दूसरे के पूरक हैं – जैसे सूरज और उसकी किरणें। इन गीतों के बिना छठ पूजा की धरोहर अधूरी लगती है।

– मिथिला हिन्दी न्यूज



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