संवाद
हिंदी सिनेमा की दुनिया में एक ऐसा नाम, जिसने अपनी हास्य प्रतिभा से करोड़ों लोगों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरी — गोवर्धन असरानी, जिन्हें दुनिया प्यार से सिर्फ असरानी के नाम से जानती थी। ‘शोले’ फिल्म का उनका अमर संवाद “हम अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर हैं...” आज भी लोगों की ज़ुबान पर है। इसी संवाद ने उन्हें एक ऐसी पहचान दी जो पीढ़ियों तक याद रखी जाएगी।
लेकिन अब हास्य का यह महान सितारा हमेशा-हमेशा के लिए अलविदा कह चुका है। उनके न रहने की खबर ने फिल्म जगत और दर्शकों के दिलों में गहरा खालीपन छोड़ दिया।
🎭 असरानी: हंसी के पीछे की एक संवेदनशील कहानी
1 जनवरी 1941 को जयपुर में जन्मे असरानी का सफर साधारण नहीं था। मध्यम वर्गीय सिंधी परिवार में जन्म लेने के बाद उन्होंने संघर्ष और कला दोनों को अपना साथी बनाया। पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट (FTII) से प्रशिक्षण लेकर उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा।
उन्होंने 1960 के दशक में फ़िल्मी सफर शुरू किया और 1970 के दशक में वे हिंदी सिनेमा के सबसे लोकप्रिय हास्य कलाकार बन गए। एक ही दशक में उन्होंने 100 से भी अधिक फिल्मों में अभिनय कर सबको चकित किया।
🎬 शोले का जेलर – जिसने असरानी को अमर कर दिया
‘शोले’ (1975) में जेलर का किरदार असरानी की जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ।
“हम अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर हैं…”
उनका ये डायलॉग आज भी भारतीय सिने इतिहास के सबसे यादगार संवादों में गिना जाता है।
उनका चेहरा, उनका अजीबोगरीब चलना, आंखों में पागलपन, और आवाज़ में खिलंदड़ापन — लोगों के दिलों में बस गया।
🎞 जिन फिल्मों ने असरानी को बनाया 'कॉमेडी किंग'
असरानी ने सिर्फ एक कॉमेडियन नहीं, बल्कि एक बेहतरीन चरित्र अभिनेता के रूप में भी अपनी छाप छोड़ी। उनकी कुछ यादगार फ़िल्में:
✅ शोले
✅ छुपा रुस्तम
✅ चुपके चुपके
✅ अभिमान
✅ हेरा फेरी
✅ अंदाज़ अपना अपना
✅ छोटे मियां बड़े मियां
✅ दिलीप कुमार-सदीर कार की फ़िल्में
✅ राजेश खन्ना के साथ 25 से अधिक फिल्में
🏆 पुरस्कारों से अधिक दर्शकों का प्यार
- सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन के लिए कई Filmfare Awards
- FTII के सबसे सफल छात्रों में गिने जाते हैं
- गुजराती और हिंदी दोनों भाषाओं में सुपरहिट रहे
- टीवी शोज़, स्टेज शोज़ व लाइव परफॉर्मेंस में भी उत्कृष्टता दिखाई
👪 निजी जिंदगी
असरानी ने अभिनेत्री मंजू असरानी से विवाह किया। उनके सरल स्वभाव और सादगी ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में बेहद सम्मान दिलाया।
💬 असरानी का अंदाज़ – सीधे दिल में उतर जाने वाला हास्य
वे फूहड़ता से परे रहे और उनकी कॉमेडी परिवारों के साथ बैठकर देखी जा सकती थी। उनका चेहरा देख मात्र हंसी आ जाना, यही उनका जादू था।
🌟 असरानी नहीं, एक युग गया
उनकी धड़कनें थम गईं, लेकिन उनका हास्य अमर हो गया। जो व्यक्ति लोगों को हँसाने के लिए जिया, आज जब वह नहीं रहा तो वही लोग रो रहे हैं।
🎗️ असरानी ने हमें हँसी दी, मासूमियत दी, और यादों की एक लंबी विरासत देकर चले गए।
अब जब भी टीवी पर "हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं..." गूंजेगा, आंखें भर आएंगी — लेकिन होंठों पर मुस्कान भी आ जाएगी।
हंसी के इस बादशाह को भावपूर्ण श्रद्धांजलि।
आप हमेशा हर दिल में ज़िंदा रहेंगे, असरानी साहब। 🙏🕯️