संवाद
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के लिए सीमांचल क्षेत्र से एक बड़ा झटका सामने आया है। कटिहार जिले के कदवा क्षेत्र से लालू प्रसाद यादव के करीबी रहे दिवंगत पूर्व विधायक अब्दुल जलील के पुत्र सैयद आलम उर्फ पिंकू ने राजद को अलविदा कह दिया है। इस्तीफे के दौरान उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि राजद ने उनके परिवार सहित सीमांचल के हजारों कार्यकर्ताओं के साथ नाइंसाफी की है।
"पार्टी का झोला मेरा बाप भी ढोया, हमलोग भी ढोते रहे": सैयद आलम
इस्तीफा देते वक्त भावुक होते हुए आलम ने कहा,
"पार्टी का झोला मेरा बाप भी ढोया और हमलोग भी ढोते रहे, लेकिन पार्टी ने नाइंसाफी की है। हमारी पीठ और सीने पर खंजर भोंका गया है।"
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे कोई सामान्य कार्यकर्ता नहीं थे, बल्कि सीमांचल में संगठनात्मक भूमिका की अपेक्षा कर रहे थे। लेकिन पार्टी नेतृत्व ने उनकी उपेक्षा की।
"मुसलमानों का विश्वास खो चुकी है पार्टी"
सैयद आलम ने राजद पर यह आरोप लगाया कि उसने सीमांचल के कार्यकर्ताओं को हाशिए पर धकेल दिया है। उनके अनुसार,
"राजद ने सीमांचल के मुसलमानों का विश्वास खो दिया है। हम जैसे नेताओं की कुर्बानियों को भुला दिया गया।"
तेजस्वी यादव और टिकट बंटवारे पर गंभीर आरोप
आलम ने तेजस्वी यादव पर सेकुलर राजनीति का दिखावा करने का आरोप लगाया और कहा,
"आप खुद को सेकुलर नेता कहते हैं, लेकिन कटिहार में क्या किया? मुझे राम प्रकाश ने बताया कि मुकेश सहनी के जरिए टिकट के लिए तीन करोड़ रुपये मांगे गए। क्या ऐसे सरकार बनाई जाती है?"
"अब कभी राजद में नहीं लौटूंगा" — आलम
राजनीति से भावनात्मक रूप से जुड़े इस बयान में उन्होंने कहा,
"जब तक जिंदा रहूंगा, राजद में कभी नहीं जाऊंगा। मैं ऐसी पार्टी पर थूकता हूं, जिसने अपने कार्यकर्ताओं की कुर्बानी को भुला दिया।"
सीमांचल में सियासी हलचल तेज
सैयद आलम के इस इस्तीफे से सीमांचल की सियासत में नई हलचल मच गई है। अब देखने वाली बात होगी कि वे किसी दूसरी पार्टी का दामन थामते हैं या निर्दलीय रूप में चुनावी मैदान में उतरते हैं।
राजनीतिक उठापटक और नाराजगी का यह दौर विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राजद के लिए एक चुनौती बनता जा रहा है।
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