जानें खरना की पूजन विधि और महत्व

संवाद 

छठ महापर्व का दूसरा दिन ‘खरना’ कहलाता है, जिसे बड़े ही श्रद्धा और नियम-संयम के साथ मनाया जाता है। यह दिन व्रतियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसी दिन से निर्जला उपवास की शुरुआत होती है। खरना न केवल आध्यात्मिक शुद्धि का प्रतीक है, बल्कि यह छठी मैया और सूर्य देव के प्रति कृतज्ञता का भाव भी दर्शाता है।


⭐ खरना का महत्व

  1. आत्मिक शुद्धि का प्रतीक – खरना के दिन व्रती स्वयं को पूर्णतः शुद्ध कर आगामी दो दिनों के कठोर निर्जला व्रत के लिए संकल्प लेते हैं।
  2. त्याग और संयम का संदेश – यह पर्व बताता है कि जीवन में त्याग और अनुशासन से ही आध्यात्मिक शक्ति मिलती है।
  3. सूर्य देव का आभार – खरना पूजा सूर्य देव को ऊर्जा और जीवन देने वाले देवता के रूप में धन्यवाद देने का अवसर है।
  4. सामूहिक एकजुटता – खरना की प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही व्रती अगले चरण में प्रवेश करते हैं, यह समाज में एकता एवं प्रेम का प्रतीक है।

📜 खरना पूजन की विधि

सुबह की शुरुआत स्नान और शुद्धता से

  • व्रती सूर्योदय से पहले स्नान करते हैं और स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं।
  • शुद्ध मन से व्रत का संकल्प लिया जाता है।

दिनभर निर्जला व्रत

  • पूरे दिन व्रती बिना जल ग्रहण किए व्रत रखते हैं।
  • मन में छठी मैया और सूर्य देव का ध्यान करते हैं।

संध्या समय पूजा की तैयारी

  • सूर्यास्त के समय घर या घाट पर पूजा की तैयारी की जाती है।
  • पूजा स्थल को गोबर से लिपा जाता है और आम्र-पल्लव या केले के पत्तों से सजाया जाता है।

प्रसाद का निर्माण

  • प्रसाद में गुड़ वाली खीर (रसीया), रोटी (या ठेकुआ जैसी सादी रोटी) और केला शामिल होता है।
  • खीर को मिट्टी के नए बर्तन (हंडिया) में बनाया जाता है।

सूर्य देव की पूजा

  • सूर्य देव और छठी मैया को दीप, धूप, जल और प्रसाद अर्पित किया जाता है।
  • सूर्य मंत्रों का जाप कर आशीर्वाद माँगा जाता है।

प्रसाद का सेवन

  • व्रती प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिसे ‘खरना प्रसाद’ कहा जाता है।
  • इसके बाद ही व्रती अगले 36 घंटे तक निर्जला उपवास का पालन करते हैं।

प्रसाद का वितरण

  • खरना प्रसाद परिवार और पड़ोसियों में भी वितरित किया जाता है, जिसे पवित्र और फलदायक माना जाता है।

🙏 आध्यात्मिक संदेश

खरना हमें सिखाता है कि जब मन और शरीर पूर्ण रूप से शुद्ध हो जाता है, तभी हम ईश्वर के अधिक निकट पहुंचते हैं। यह आत्म-नियंत्रण और भक्तिभाव की सर्वोत्तम अभिव्यक्ति है।


📍छठ महापर्व के तीसरे दिन शाम का अर्घ्य और चौथे दिन भोर का अर्घ्य ही व्रत की पूर्णता को दर्शाता है।

✨ आप भी श्रद्धा और विश्वास के साथ खरना मनाएं और छठी मैया का आशीर्वाद प्राप्त करें।


🌼 छठ महापर्व की मंगल शुभकामनाएं
पढ़ते रहिए – मिथिला हिन्दी न्यूज

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