बिहार में अब थाने में केस दर्ज कराने के बाद शिकायतकर्ता को एफआईआर की कॉपी उसी की भाषा में उपलब्ध कराई जाएगी। यानी अगर शिकायतकर्ता मैथिली, संथाली, नेपाली या किसी अन्य स्थानीय भाषा में बोलता है, तो उसे उसी भाषा में एफआईआर की प्रति दी जाएगी।
पहले तक एफआईआर की कॉपी केवल हिंदी, अंग्रेजी या कुछ क्षेत्रीय भाषाओं में ही दी जाती थी। लेकिन अब इस नई व्यवस्था से शिकायतकर्ता को एफआईआर की भाषा समझने में आसानी होगी और पारदर्शिता भी बढ़ेगी।
इस संबंध में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के निदेशक आईपीएस आलोक रंजन ने बिहार सहित सभी राज्यों की पुलिस को पत्र लिखा है। पत्र में निर्देश दिया गया है कि प्रत्येक राज्य अपनी भाषाई विविधता को ध्यान में रखते हुए यह सुविधा लागू करे।
यह कदम न केवल शिकायतकर्ता की सुविधा बढ़ाएगा, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में भी लोगों की सहभागिता को मजबूत करेगा।
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