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सारण में रोचक होगा पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा चुने जाने वाले विधान परिषद सीट की लड़ाई

अनूप नारायण सिंह 

मिथिला हिन्दी न्यूज :- छपरा।जातीय समीकरण में उलझता जा रहा है सारण पंचायत स्तरीय स्थानीय निकाय विधान परिषद सीट।पंचायत प्रतिनिधियों के कोटे से सारण से भरे जाने वाले विधान परिषद सीट की लड़ाई इस बार जातीय समीकरण में उलझता दिख रहा है। दावेदार भी एक-एक कर सामने आने लगे हैं पर सूचना है कि इस बार दावेदारों की तादाद लंबी रहने वाली है अभी तक जो जातीय समीकरण के अनुसार पंचायत स्तरीय जनप्रतिनिधि जीत कर आए हैं उसमें सामान्य से ज्यादा पिछड़ा अति पिछड़ा वर्ग के जनप्रतिनिधियों की तादाद ज्यादा है। ऐसे में वोट का गणित किसी भी प्रत्याशी के लिए आसान नहीं है।पंचायत प्रतिनिधियों के द्वारा चुने जाने वाले विधान परिषद सीट को लेकर सारण में शुरू हो चुका है संग्राम। निवर्तमान विधान पार्षद सच्चिदानंद राय व राजद के संभावित प्रत्याशी सुधांशु रंजन ने नवनिर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों के सम्मान समारोह के बहाने शुरू कर दिया है अपना चुनाव प्रचार। कुल 5322 पंचायत प्रतिनिधि करेंगे अपने मताधिकार का प्रयोग. जिसमें 47 जिला परिषद के सदस्य 300 अट्ठारह मुखिया 453 पंचायत समिति सदस्य 4504 वार्ड सदस्य हैं. पिछली बार यहां से भाजपा समर्थित उम्मीदवार सच्चिदानंद राय विजयी हुए थे। सच्चिदानंद राय का भाजपा से टिकट कंफर्म है जबकि राजद के संभावित उम्मीदवार सुधांशु रंजन हर हाल में इस बार सच्चिदानंद राय के विजय रथ को रोकने के प्रयास में है।वैसे राजद के तरफ से दो और प्रबल दावेदार हैं जो टिकट की जुगाड़ में है। लेकिन सबसे ज्यादा पसीना सुधांशु रंजन ही बहा रहे हैं अब सच्चिदानंद राय भी चुनाव परिणाम आने के साथ पंचायत प्रतिनिधियों का सम्मान समारोह आयोजित कर रहे हैं। जाप के प्रदेश सचिव संजय कुमार सिंह भी पंचायत प्रतिनिधियों का सम्मान करते नजर आ रहे हैं ऐसी चर्चा है कि वह भी वोटरों का मन मिजाज टटोल रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय मतंग सिंह की धर्मपत्नी फिल्म अभिनेत्री ख्याति सिंह की टीम भी क्षेत्र में सक्रिय है।पंचायत प्रतिनिधियों के द्वारा चुने जाने वाले विधान परिषद सीट के लिए वार्ड सदस्य पंचायत समिति मुखिया व जिला परिषद के सदस्य वोट करते हैं। पंचायत प्रतिनिधियों के द्वारा चुने जाने वाले विधान परिषद सीट के लिए पार्टी से ज्यादा मैनेजमेंट काम करता है जिस प्रत्याशी का मैनेजमेंट तगड़ा होता है जीत उसे ही नसीब होती है पिछली बार सच्चिदानंद राय का मैनेजमेंट भारी पड़ा था।

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