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सात करोड़ उपेक्षित मिथिलावासी हेतु राजनीतिक विकल्प : मिथिलावादी पार्टी


आमजन व मिथिला हितैषी मुद्दों के साथ राजनीतिक हिस्सेदारी की होगी बात - मिथिलावादी पार्टी 

5 साल जमीनी संघर्ष के बाद चुनाव में उरतेगा मिथिला का युवा भविष्य - मिथिलावादी पार्टी

अनूप नारायण सिंह 

 पटना।19 सितम्बर 2020 को बिहार की राजधानी पटना स्थित विद्यापति भवन में "मिथिलावादी पार्टी" का ऐतिहासिक घोषणा वृहत प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से हुई । प्रेस वार्ता को पार्टी के पदाधिकारियों ने संबोधित किया एवं मिथिलावादी पार्टी से संबंधित जानकारी उपस्थित सम्मानित पत्रकार बन्धु के सामने रखी । पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुजीत यादव ने कहा कि दशकों से राजनीतिक विहीन मिथिला को एक सशक्त राजनीतिक विकल्प देने हेतु लाखों युवाओं का जत्था एक अच्छे व संयमित पार्टी का उदय हुआ है । इस पार्टी में जुड़े युवा स्वच्छ छवि के संघर्षशील कर्मठ एवं परिवक्व राजनीतिक अनुभव के साथ पार्टी का निर्माण कर मिथिला में व्याप्त पलायन-गरीबी-भुखमरी-अशिक्षा-स्वास्थ्य की कुव्यवस्था- बन्द पड़े उद्योग धंधा व धरोहर - संस्कृति की रक्षा हेतु व अन्यान्य मुद्दों के साथ राजनीतिक विकल्प के रुप में उभरकर मिथिला के मुद्दों के साथ जनता के बीच जाने की ठानी है ।

 मिथिलावादी पार्टी का उद्देश्य मिथिला को सशक्त-समृद्ध मिथिला का राजनीतिक उदय करने हेतु हुआ है, दशकों से मिथिला विरोधी मानसकिता के सरकारों ने मिथिला के साथ छल करने का काम किया है । मिथिला के आमजन को विपन्नता के साथ भविष्य को अंधकार में डालने का काम पटना बैठे सरकार ने किया है । मिथिला की आदिकाल से वर्तमान की तुलना में 72 सालों से राजनीतिक नेताओ की अनैतिक व अविकसित सोच के कारण आज मिथिला की स्थिति अत्यंत दुःखदायीं हो चुकी है। अनेकों क्रांतिकारी व विद्वतापूर्ण इतिहास को अपने बल पर अविस्मरणीय व ऐतिहासिक बनाने वाले विभूतियों की भूमि आज विजनलेस व मिथिला विरोधी सोच के नेताओ के कारण उपेक्षित है । मिथिलावादी पार्टी के गठन की आवश्यकता मिथिला को राजनीतिक रूप से सशक्त करने हेतु हुए हैं। वर्षो से प्रायोजित तरीके से इस क्षेत्र को उद्योग विहीन - स्वास्थ्य विहीन व शिक्षाविहीन , विकास की मुख्यधारा से दूर रखी गई है ताकि पटना में बैठी डपोरशंख , विजनलेश नेता यहाँ के जनता को गुमराह करते हुए अपने नाकामयाबियों को छिपाते हेतु शासन करते रहे और इस क्षेत्र को सस्ता मजदूर का क्षेत्र बनाये रखा । लेकिन मिथिलावादी पार्टी का सही तौर पर मानना है कि मिथिला क्षेत्र में असीम संभावनाएं है , यहाँ के युवा कौशल युक्त श्रेष्ठ उद्दमी है । परंतु जितने भी संभावनाएं थी उसे इन अविकसित सोच के पटना व दिल्ली बैठे निरकुंश सता के नेताओ में नष्ट करने का काम किया है। वहीं पार्टी को एक नए राजनीतिक विकल्प दे रहे युवाओं का मानना है कि कौशलयुक्त - जन जन से सरोकार रखने वाले युवा अब विधानसभा जाकर अपने क्षेत्र मिथिला के मुद्दों को मुखर होकर रखने का काम करेंगे । क्षेत्र में न एयरपोर्ट है, न सुव्यवस्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय या केंद्रीय अस्पताल, न इंफ्रास्ट्रक्चर न रोजगार, न हैवी इंडस्ट्री है, न खाद्य-डेयरी-मत्स्य-कृषि आधारित उद्योग या न ही टेक्निकल इंडस्ट्री। कृषि बन्द हो रही है, लोग पलायन कर रहे हैं, न कला-संस्कृति-भाषा बढ़ पाई और न टूरिज्म।
एक सच्चाई यह भी है कि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार की तलाश में बहुत बड़ी संख्या में युवा मिथिला से पलायन कर रहे हैं। जिसका पिछले कई सालों में कोई भी सरकार हल निकालने में नाकाम रही है।

वहीं पार्टी के महासचिव उग्रनाथ मिश्रा ने कहा कि लोग पलायन क्यों करते हैं या उन्हें पलायन क्यों करना पड़ता है, वास्तव में यह चुनाव का मुद्दा होना चाहिए। सन 90 के बाद से बिहार में कोई भी नया उद्योग नहीं लगा। नए उद्योग की तो बात छोड़िए जो थे वो भी बड़ी तेज़ी से बंद हुए हैं। चाहे वो सकरी की चीनी मिल हो, दरभंगा की अशोक पेपर मिल या बेगूसराय के आसपास के कई उद्योग। मिथिला में व्याप्त बेरोजगारी , गरीबी , पलायन , भुखमरी , स्वास्थ्य व शिक्षा की कुव्यवस्था , सांस्कृतिक विरासत , धरोहर आदि संरक्षण हेतु व बिहार - केंद्र सरकार की जो मिथिला विरोधी मंशा व कुदृष्टि है इसे दूर करने हेतु , मिथिला के सर्वागीण विकास की मुख्यधारा से जोड़ने हेतु एक सकारात्मक सोच के साथ पार्टी इस बार विधानसभा चुनाव में प्रबल दावेदारी के साथ उतरेग ।

अष्टम अनुसूची में नामित होने के बाद भी जन-जन प्रिय भाषा को मैथिली को साज़िशन अधिकार से वंचित रखा गया है । द्वितीय राज्यभाषा , प्राथमिक शिक्षा में मैथिली व अन्य भाषायी अधिकार से दूर रखा गया है । बिहार के राज्य भाषा मे "मैथिली" नही है । प्राथमिक शिक्षा में मैथिली का स्थान नही । राजकाज की भाषा मे मातृभाषा मैथिली का कोई स्थान नही । नगण्य संख्या में हमारे यहाँ उद्योग - धंधा , हमारे पर्यटक स्थल की रौनक विलुप्त है । हमें मगधी बनाने की साजिश चल रही है। उच्च शिक्षण-संस्थानों व स्वास्थ्य केंद्रों की सुविधा 'मिथिला क्षेत्र में नही है । मिथिला की लोकश्रुति कई सदियों से चली आ रही है जो अपनी बौद्धिक परम्परा के लिये भारत और भारत के बाहर जानी जाती रही है। इस क्षेत्र की प्रमुख भाषा मैथिली है। मिथिला क्षेत्र के किसानों की हालात तो इससे भी खराब है किसान खेती छोड़ पलायन करने पर मजबूर है । कृषि योग्य उपयोगी भूमि अच्छी गुणवत्ता से खाद्यान्न देने वाली खेत सरकार की मार झेल रही है और हम चुप है । स्टेट बोर्डिंग बन्द पड़ी है और हम सत्ता के भोग करने वाले निक्कमो के झूठे वादों से शोषित मिथिलावासी है । जो लोग गरीबों और किसानों के नाम पर वोट लेकर जीत जाते हैं फिर उन्ही को भूल जाते हैं । किसानो और गरीबो को लगता हैं इस बार कुछ अच्छा होगा । 

वहीं राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष सागर नवदिया ने कहा कि हम मिथिलावादियों ने पिछले पाँच सालों में गली से दिल्ली तक, सड़क से जेल तक संघर्ष करने का काम किया है इस संघर्ष के माध्यम से हमलोगों ने सरकार तक अपनी मूलभूत माँगे पहुचाने का हर वो प्रयास किया जो लोकतांत्रिक पद्धति से करना चाहिए था लेकिन सत्ता के नशा में मदहोश वर्तमान सरकार ने लगातार मिथिला के लोगों को अपमानित करने का काम किया प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च शिक्षा तक का हालात बद्तर है। कॉलेज में प्रोफेसर नहीं है,पुस्तकालय में पुस्तक नहीं है, अवैध वसूली चरम पर है। इन सब मुद्दों से त्रस्त जनता के बीच हमलोगों जाएंगे हमलोगों का वैचारिक, सामाजिक, राजनीतिक जनाधार है जिसके बदौलत पार्टी इस चुनाव में शशक्त रूप से अपनी राजनीतिक हिस्सेदारी तय करने का काम करेगी। प्रेस वार्ता में पार्टी के विद्या भूषण राय , रजनीश प्रियादर्शी, प्रशांत झा, पंकज चौधरी, मंदाकिनी चौधरी, प्रियंका मिश्रा, हिमकर भारद्वाज, सत्येंद्र पासवान, बिट्टू चौपाल, राघवेंद्र रमन, कन्हैया झा, दिवाकर झा, अमित झा, राकेश जी, बुद्धिनाथ जी, जयप्रकाश जी सहित दर्ज़नों पार्टी के पदाधिकारी उपस्थित थे।
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