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ललन सिंह की 'विदाई' की जिक्र कहां से उठी? विधायक से लेकर L-T और A-U वाला फैक्टर कर रहा कार्य!


संवाद 


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की पार्टी जनता दल यूनाइटेड में इन दिनों खलबली तेज हो गई है. जेडीयू की तरफ से पहले 29 दिसंबर को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का एलान किया गया था, लेकिन 19 दिसंबर को इंडिया गठबंधन (INDIA Alliance) की बैठक के बाद यह बात भी सामने आई कि उसी दिन राष्ट्रीय परिषद की भी बैठक होगी. अब इस बैठक की घोषणा के बाद से जिक्र तेज हो गई कि क्या राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Lalan Singh) की विदाई हो जाएगी?
राष्ट्रीय परिषद की बैठक में सभी प्रकोष्ठ के मेंबर उपस्थित होते हैं. इसमें अहम फैसले लिए जाते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अचानक निर्णय लेने के लिए भी जाने जाते हैं. इस बैठक की घोषणा के बाद सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष के सभी दलों के नेता यह जिक्र करने लगे हैं कि नीतीश कुमार उस दिन बड़ा फैसला लेंगे. हो सकता है राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से ललन सिंह को हटाकर किसी और को कमान सौंप दें. हो सकता है खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद ले लें.
इन सबके पीछे जेडीयू के विधायकों से लेकर लालू-तेजस्वी (L-T) और अशोक चौधरी समेत उपेंद्र कुशवाहा (A-U) वाले फैक्टर हो सकते हैं. 

जेडीयू के विधायक कई बार ललन सिंह पर इल्जाम लगा चुके हैं कि वह मिलते तक नहीं हैं. 

सियासी गलियारों में उठी जिक्र पर राजनीति जानकार अरुण कुमार पांडेय बोलते हैं कि ललन सिंह की जगह किसी और को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का फैसला लिया जा सकता है. हाल के दिनों में देखा जाए तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पार्टी के प्रति पूरी तरह से सजग हुए हैं. अचानक जेडीयू दफ्तर पहुंच जाना, निरंतर अपनी पार्टी के सभी सांसद, मंत्री, विधायक, पूर्व विधायक और सभी प्रकोष्ठ के नेताओं से बारी-बारी बैठक कर रहे हैं. यह बात भी सत्य है कि इस पार्टी में जो भी अहम फैसले लेंगे वह नीतीश कुमार ही ले सकते हैं. उन्हीं के निर्देश पर पार्टी का हर कार्य होगा. उन्होंने बोला कि अध्यक्ष पद के लिए वक्त सभी पार्टियों का अलग-अलग होता है.अरुण पांडेय ने बताया कि हाल के दिनों में जिस तरह से जिक्र रही है कि ललन सिंह की तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव से नजदीकींया बढ़ी हैं तो वहीं ललन सिंह का पार्टी के कुछ नेताओं से विवाद भी रहा है. मुख्यमंत्री आवास में अशोक चौधरी और ललन सिंह का विरोधाभास सबके सामने आया था. इसके बाद से नीतीश कुमार जो हैं वो अशोक चौधरी के पक्ष में ज्यादा दिखे. कई बार मंच से उन्होंने अशोक चौधरी का सपोर्ट किया है.अंदरखाने से यह भी जिक्र है कि ललन सिंह ने खुद प्रस्ताव रखा है कि उन्हें मुंगेर लोकसभा से चुनाव लड़ना है. ऐसे में इतनी बड़ी जिम्मेवारी अभी वह नहीं संभाल सकते हैं क्योंकि उपेंद्र कुशवाहा के हटने के बाद संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष पद का भी जिम्मा उन्हीं के पास है. ऐसे में इस बैठक में यह भी फैसला लिया जा सकता है कि कौन संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष होंगे.
दरअसल कुछ महीने पहले सीएम आवास पर जेडीयू नेताओं की बैठक हुई थी. जेडीयू की बैठक समाप्त होने के बाद पार्टी के नेता निकलने लगे थे. इस क्रम में ललन सिंह ने अशोक चौधरी को टोका था. अशोक चौधरी को बोलने लगे कि वह जमुई और बरबीघा की राजनीति में बार-बार दखलंदाजी नहीं करें. अशोक चौधरी ने जवाब में ललन सिंह को बोला कि वह कौन होते हैं कहीं जाने से रोकने वाले?ललन सिंह के लालू-तेजस्वी के करीब होने के वजह से नीतीश नाराज चल रहे हैं ये जिक्र है. हालांकि ललन सिंह के आरजेडी से करीब होने की बात कई महीने पहले ही उपेंद्र कुशवाहा बोल चुके हैं. जेडीयू से त्यागपत्र देने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने बोला था कि आरजेडी को क्या सूट करता है उस तरह से ललन सिंह बोल रहे हैं. नीतीश कुमार को सूट करे या ना करे, नीतीश कुमार अंदर से दुखी भी हों तो होते रहें. आरजेडी के आका कैसे खुश रहें इस प्रकार का व्यवहार ललन सिंह अभी कर रहे हैं.

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