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मिथिलांचल का प्रकृति से जुड़ा पर्व है ‘कोजगरा’, जानें इस दिन जागरण का क्यों है महत्व

संवाद

इस साल 9 अक्टूबर यानी कल शरद पूर्णिमा है।  मां लक्ष्मी का पूजन घर-घर में किया जाएगा। बिहार के मिथिला क्षेत्र में इस दिन को कोजागर भी कहते हैं। कहा जाता है कि आज के दिन नवविवाहित दूल्हों के घर पर दुल्हन के घर से पान—मखान का भार आता है, जिसे रात्रि में पूरे गांव के लोगों के बीच पूजा के बाद बांटा जाता है। घर की महिलाएं नव विवाहित दूल्हों का पहले चुमावन करती है। काफी देर तक हंसी ठिठोलों का दौर चलता है।
कोजागरा पूजा का महत्व क्या है?
देवी लक्ष्मी को खुश करने के लिए कोजागरा पूजा की जाती है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, अश्विन महीने में आने वाली पूर्णिमा को ‘जागरण की रात’ के रूप में जाना जाता है और ऐसा माना जाता है कि भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए माँ लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं। भक्त जो अत्यंत भक्ति के साथ पूजा अनुष्ठानों का पालन करते हैं उन्हें देवी से समृद्धि, धन और दिव्य आशीर्वाद मिलता है। उत्तर भारत के राज्यों में, कोजागरा का उत्सव फसल के त्यौहार के साथ भी मेल खाता है।

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