छठ पूजा: व्रती को पूजा के समय पलंग या चारपाई पर न सोने की परंपरा

संवाद 

छठ महापर्व में व्रती का हर व्यवहार, आचार और दिनचर्या अत्यंत श्रद्धा और अनुशासन के अनुसार होता है। इसी अनुशासन का हिस्सा है कि पूजा के समय व्रती पलंग या चारपाई पर नहीं सोते।

🔹 इसका धार्मिक महत्व

  1. भक्ति और तपस्या का प्रतीक:
    पूजा के समय जमीन पर बैठकर या खड़े होकर अर्घ्य देने और मंत्र जाप करने से व्रती की भक्ति और तपस्या सिद्ध होती है।

  2. सादगी और संयम का संदेश:
    छठ व्रत में सादगी और आत्मसंयम का पालन करना अनिवार्य माना जाता है। पलंग या चारपाई पर सोने से शारीरिक आराम बढ़ता है, जो व्रती की तपस्या को प्रभावित कर सकता है।

  3. सूर्य देव और छठी मैया की प्रसन्नता:
    मान्यता है कि पूजा के समय व्रती का संयम और साधना अधिक रहने पर सूर्य देव और छठी मैया अधिक प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।

🔹 व्यवहारिक उपाय

✅ पूजा के समय जमीन या साफ चटाई पर बैठें।
✅ मंत्र जाप और अर्घ्य देने के दौरान पूर्ण सतर्कता रखें।
✅ शुद्धता और भक्ति बनाए रखें, ताकि पूजा का प्रभाव अधिकतम हो।

छठ पूजा में यह नियम व्रती को आध्यात्मिक अनुशासन और संयम का मार्ग दिखाता है।


छठ पर्व की हर परंपरा और नियम जानने के लिए पढ़ते रहिए मिथिला हिन्दी न्यूज 🌞🪔

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