छठ पूजा का प्रसाद: बर्तन और चूल्हा शुद्धता का प्रतीक

संवाद 

छठ महापर्व में प्रसाद तैयार करना व्रत का महत्वपूर्ण अंग है। इस दिन व्रती और उनके परिवार अत्यंत श्रद्धा और सात्त्विकता के साथ प्रसाद बनाते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रसाद बनाने वाले बर्तन और चूल्हा पूरी तरह शुद्ध होना अनिवार्य है।

🔹 क्यों है शुद्धता जरूरी?

  1. आध्यात्मिक महत्व:
    शुद्ध बर्तन और चूल्हा छठी मैया और सूर्य देव को अर्पित प्रसाद की पवित्रता बनाए रखते हैं।

  2. भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक:
    शुद्धता से ही व्रती की भक्ति पूर्ण और स्वच्छ मानी जाती है।

  3. स्वास्थ्य और सात्त्विकता:
    साफ बर्तन और स्वच्छ चूल्हा सात्त्विक भोजन बनाने में मदद करते हैं, जिससे शरीर और मन दोनों निर्मल रहते हैं।

🔹 शुद्धता बनाए रखने के उपाय

✅ प्रसाद बनाने से पहले बर्तन अच्छे से धोकर पवित्र कर लें।
✅ चूल्हे को स्वच्छ करके केवल प्रसाद बनाने के लिए उपयोग करें।
✅ प्रसाद बनाते समय मानसिक शुद्धता और ध्यान बनाए रखें।

छठ पूजा में यह परंपरा न केवल धार्मिक नियम है, बल्कि आध्यात्मिक अनुशासन और श्रद्धा का प्रतीक भी है।


छठ पूजा से जुड़ी हर नियम और परंपरा के बारे में पढ़ते रहिए मिथिला हिन्दी न्यूज 🪔🌅

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