छठ पूजा का दूसरा दिन ‘खरना’: व्रत, शुद्धता और सूर्य आराधना का महापर्व आज

संवाद 

छठ पूजा हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख और पवित्र त्योहारों में से एक है, जिसे चार दिनों तक अत्यंत श्रद्धा, नियम और शुद्धता के साथ मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया की आराधना को समर्पित होता है। इस चार दिवसीय उत्सव का दूसरा दिन खरना या लोढ़ंडा के नाम से जाना जाता है।

📅 कब मनाया जाएगा खरना?

इस वर्ष खरना 26 अक्तूबर 2025, रविवार यानी आज मनाया जा रहा है।

🌄 पंचांग के अनुसार समय

  • सूर्योदय: सुबह 6 बजकर 29 मिनट
  • सूर्यास्त: शाम 5 बजकर 41 मिनट
    खरना पूजा और प्रसाद अर्पण सूर्यास्त के बाद, यानी शाम 5:41 बजे के पश्चात किया जा सकता है।

🙏 खरना का आध्यात्मिक महत्व

इस दिन व्रती सुबह पवित्र स्नान कर छठ व्रत की औपचारिक शुरुआत करते हैं। पूरा दिन वे निर्जला उपवास रखते हैं, जो आत्मसंयम, श्रद्धा और आत्मशुद्धि का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि खरना के दौरान की गई तपस्या और भक्ति से प्रसन्न होकर सूर्य देव और छठी मैया व्रती एवं उनके परिवार को सुख, समृद्धि, आरोग्य और संतान सुख का आशीर्वाद देते हैं।

🍚 खरना प्रसाद का विशेष महत्व

सूर्यास्त के बाद विशेष प्रसाद तैयार किया जाता है जिसमें शामिल होते हैं: ✅ गुड़ और चावल से बना रसियाव (खीर)
✅ गेहूं के आटे की रोटी (गुड़ से बनी)
✅ केला और अन्य फल

व्रती सबसे पहले इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं और फिर इसे परिवार एवं पड़ोसियों के बीच बांटा जाता है। इसे प्रसाद का संकल्प माना जाता है।

✨ श्रद्धा और अनुशासन का पर्व

खरना का दिन व्रती के लिए तपस्या की पराकाष्ठा का प्रारंभिक चरण होता है, जो आगे तीसरे दिन अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारी की राह खोलता है।


छठ महापर्व से जुड़ी हर आध्यात्मिक जानकारी और परंपराओं के लिए पढ़ते रहिए मिथिला हिन्दी न्यूज 🌞🪔

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