छठ पर्व पर आस्था का केंद्र बनता पुनौरा धाम का सीता कुंड

संवाद 


माता सीता की जन्मस्थली पुनौरा धाम में स्थित प्रसिद्ध सीता कुंड छठ महापर्व के अवसर पर श्रद्धा और भक्ति का प्रमुख केंद्र बन जाता है। मिथिला की धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परंपराओं से जुड़ा यह पावन स्थल न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि दूर-दराज़ से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी गहरी आस्था का प्रतीक है।

छठ गीतों की गूंज और दीपों की रोशनी से सजा वातावरण

छठ पर्व के दौरान पुनौरा धाम का माहौल दिव्य और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठता है। चारों ओर छठ मइया के गीत, लोक संगीत और शारदा सिन्हा जैसे कलाकारों की भक्ति स्वरधारा गूंजती रहती है। सीता कुंड के तट पर जलते दीप, फूलों से सजे घाट और व्रतधारियों की समर्पण भावना पूरे वातावरण को आध्यात्मिक आलोक से प्रकाशित कर देते हैं।

ढलते और उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते श्रद्धालु

छठ व्रती यहां डूबते सूर्य (संध्या अर्घ्य) और उगते सूर्य (प्रातः अर्घ्य) को जल अर्पित कर परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की लंबी आयु और मनोवांछित फल की कामना करते हैं। पुनौरा धाम में यह दृश्य एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।

छठ की उत्पत्ति से जुड़ी मान्यता

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, माता सीता ने स्वयं देव मूंगा घाट पर छठ पूजा आरंभ की थी। उसी विश्वास और आस्था के आधार पर बाद में पुनौरा के सीता कुंड पर छठ मनाने की परंपरा विकसित हुई।
इसलिए यह कहा जाता है कि छठ व्रत की शुरुआत सीधे सीता कुंड से नहीं, बल्कि देव मूंगा घाट की परंपरा से प्रेरित होकर यहां भी धूमधाम से प्रचलित हुई। श्रद्धालु दोनों स्थलों को धार्मिक रूप से एक-दूसरे से जुड़ा मानते हैं और समान रूप से पूजनीय मानते हैं।

सीता कुंड के जल की अनोखी पवित्रता

सीता कुंड की एक विशेष मान्यता यह भी है कि इसका जल सदैव निर्मल रहता है और इसमें कभी कीड़ा नहीं लगता। लोक मान्यताओं के अनुसार, यह जल दिव्य और पवित्र माना जाता है। कुंड के पश्चिम और उत्तर कोनों को माता सीता के प्राकट्य स्थल के रूप में पूजा जाता है।

सांस्कृतिक कार्यक्रम और लोक परंपराओं की झलक

छठ पर्व के दौरान यहां विशाल धार्मिक आयोजन, दीपदान, पारंपरिक छठ पूजा, झांकी और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यहां मिथिला की संस्कृति की अद्भुत झलक देखने को मिलती है—
✅ छठ गीतों की मिठास
✅ लोक कलाकारों की प्रस्तुति
✅ पारंपरिक वेशभूषा
✅ लोकनृत्य एवं सांस्कृतिक झांकियां

निष्कर्ष

पुनौरा धाम का सीता कुंड छठ पर्व पर केवल पूजा का स्थल नहीं, बल्कि यह मिथिला की आस्था, परंपरा और सांस्कृतिक गौरव का जीवंत प्रतीक बन जाता है। यहां छठ का आयोजन मानो माता सीता की गोद में श्रद्धा की आराधना जैसा लगता है।

मिथिला हिन्दी न्यूज
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