रोहित कुमार सोनू
छठ महापर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत और लोक परंपराओं का जीवंत प्रमाण है। इस महापर्व में प्रयोग किए जाने वाले बांस से निर्मित सूप (सूपा या डाला) का स्थान अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है।
सूप क्यों है छठ पूजा का अनिवार्य अंग?
✅ सूर्य पूजा के बिना सूप अधूरा माना जाता है
छठी मैया और सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते समय सूप का उपयोग प्रमुखता से किया जाता है। इसमें व्रती द्वारा तैयार प्रसाद जैसे ठेकुआ, फल, नारियल, गन्ना आदि सजा कर श्रद्धा सहित सूर्य भगवान को समर्पित किया जाता है।
✅ बांस की पवित्रता
बांस को भारतीय संस्कृति में शुद्ध, सात्विक और असीम वृद्धि का प्रतीक माना गया है। इसलिए इसका प्रयोग पूजा में समृद्धि और दीर्घायु की कामना का संकेत देता है।
✅ भक्ति, समर्पण और लोक आस्था का प्रतीक
सूप केवल एक पूजा सामग्री नहीं, बल्कि व्रती की भावनाओं, समर्पण और कृतज्ञता का प्रतीक होता है। प्रसाद सजाने की प्रक्रिया ही एक भक्तिपूर्ण साधना मानी जाती है।
सूप से जुड़ी सांस्कृतिक परंपराएं
✨ कई जगहों पर सूप को रंग-बिरंगे कपड़ों, फूलों और धागों से सजाया जाता है।
✨ व्रत रखने वाली महिलाएं सूप में प्रसाद सजाते समय मंगल गीत गाती हैं।
✨ सूर्यास्त और सूर्योदय के अर्घ्य दोनों समय सूप का उपयोग किया जाता है।
सूप: एक साधन नहीं, भावनाओं का सेतु
यह सूप भक्त और सूर्य देव के बीच एक ऐसा माध्यम बनता है जो श्रद्धा, विश्वास और पारिवारिक एकता का संदेश देता है। इसके माध्यम से सूर्य देव को मानव जीवन में प्रकाश, ऊर्जा और समृद्धि प्रदान करने के लिए धन्यवाद दिया जाता है।
छठ पूजा की इस पावन महिमा और परंपराओं से जुड़ी हर जानकारी के लिए पढ़ते रहिए —
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