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टीबी मुक्त जिला बनाने का लिया गया संकल्प

- मार्च महीने को जन आंदोलन के रूप में मनाने का लिया गया निर्णय, 24 मार्च तक विभिन्न गतिविधियों का आयोजन

प्रिंस कुमार 

शिवहर, 10 मार्च | राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) की सफलता के लिए देशभर में 'टीबी हारेगा, देश जीतेगा' अभियान चलाया जा रहा है। इसे लेकर जिला में भी कवायद तेज हो गई है। विभाग ने मार्च महीने को जन आंदोलन के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इसके तहत 10 से 24 मार्च तक जिला से प्रखंड स्तर पर कई गतिविधियों का आयोजन किया जायेगा। बुधवार को इसकी विधिवत शुरुआत हो गई। सदर अस्पताल में बुधवार को बैठक आयोजित कर कार्यक्रम की सफलता पर चर्चा की गई। बैठक में केयर इंडिया की डीटीएल पल्लवी बोस ने प्रेजेंटेशन देकर टीबी रोग के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से बताया। बैठक में सभी पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी उपस्थित रहे। जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. जियाउद्दीन जावेद ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। इसे पूरा करने के लिये ही राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि टीबी मुक्त भारत अभियान को आंदोलन का आकर देने के लिए हर तरह की सामुदायिक सहभागिता आवश्यक है। इस अभियान में सबसे ज्यादा स्थानीय स्तर पर पंचायती राज से जुड़े जनप्रतिनिधियों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है। इसीलिए इनका सहयोग भी अपेक्षित है। जिस गांव या कसबा में टीबी के मरीज ज्यादा हैं वैसे गांवों को चिह्नित कर ज्यादा से ज्यादा बलगम की जांच करें और सुदूर ग्रामीण इलाके में स्वास्थ्य विभाग से जुड़े कर्मियों व एसटीएस के माध्यम से खोजी अभियान में तेजी लाना बेहद जरूरी है।

22 मार्च को जागरूकता रैली निकाली जाएगी

12 मार्च को प्रखंड स्तर पर अभियान की शुरुआत होगी। 13 मार्च को प्रखंड स्तर पर बैठक होगी। 16 मार्च को एनएम का उन्मुखीकरण किया जाएगा। 18 मार्च को स्वास्थ्य उपकेन्द्र पर बैठक होगी। 20 मार्च को क्लस्टर बैठक आयोजित की जाएगी। 22 को सेक्टर स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाएगा। उसी दिन जागरूकता रैली निकाली जाएगी। 23 मार्च को वाद संवाद कार्यक्रम होगा । 24 मार्च को समाहरणालय में जिला स्तरीय कार्यक्रम आयोजित होगी। 

कुपोषित व्यक्तियों में टीबी होने की संभावना

डॉ. जियाउद्दीन जावेद ने बताया कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है। जड़ से मिटाने के लिए हम सभी को इसके खिलाफ लड़ाई लड़ने की जरूरत है। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि टीबी के मरीज गरीब परिवारों के बीच से ही आते हैं। जिसमें कुपोषित व्यक्तियों या बच्चों में ये सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। क्योंकि अगर कोई एक व्यक्ति टीबी से ग्रसित हो गया तो सभी लोग एक छोटी सी झुग्गी झोपड़ी में ही रहते हैं जिस कारण एक दूसरे में टीबी का संक्रमण फैल जाता है।

केयर इंडिया की टीम करेगी सहयोग

प्रतिवर्ष 24 मार्च को विश्व यक्ष्मा दिवस मनाया जाता है। इस बार सहयोगी संस्था केयर इंडिया द्वारा सभी प्रखंड मुख्यालयों में सहयोग किया जाएगा। केयर इंडिया की डीटीएल पल्लवी बोस ने बताया कि इसके तहत टीबी पेशेंट सपोर्ट ग्रुप मीटिंग के माध्यम से जनप्रतिनिधि, धार्मिक संस्थाओं के प्रमुख, प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों के बीच राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत उपलब्ध सुविधाओं, निक्षय पोषण योजना आदि विषय पर व्यापक जानकारी दी जाएगी। कार्यक्रम के लिए केयर इंडिया द्वारा रोस्टर तैयार किया गया है।

वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य

जन आंदोलन अभियान के तहत प्रखंड स्तर पर यक्ष्मा रोगी की पहचान के विषय में जानकारी दी जाएगी। ताकि टीबी के लक्षणों को पहचान कर रोगी को निकटतम स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए भेजा जा सके। टीबी के रोगी का जल्द से जल्द उपचार शुरू किया जा सकेगा। 

हर व्यक्ति की नि:शुल्क जांच व इलाज

डॉ. जियाउद्दीन जावेद ने बताया कि जिले के सभी प्रखंडों में प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी के मरीजों के इलाज की नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ ही दवा भी मुफ्त दी जाती है। टीबी रोग की रोकथाम के विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं। टीबी रोगी सघन खोज अभियान में रोग के लक्षण मिलने पर उसके बलगम की जांच की जाती है। साथ ही टीबी रोग पर नियंत्रण करने के लिए लोगों को सावधानियां बताते हुए जागरूक करने का प्रयास भी किया जाता है। 

टीबी रोग के लक्षण

- लगातार तीन हफ्तों से खांसी का आना और आगे भी जारी रहना
- खांसी के साथ खून का आना
- छाती में दर्द और सांस का फूलना
- वजन का कम होना और ज्यादा थकान महसूस होना
- शाम को बुखार का आना और ठंड लगना
- रात में पसीना आना

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