अपराध के खबरें

एईएस से लड़ने के लिए जिले भर में चौपाल का आयोजन

- सिविल सर्जन ने कहा कि एईएस बचाव के लिए चलाया जा रहा जागरूकता अभियान 

प्रिंस कुमार


मोतिहारी, 10 मार्च| मौसम में बदलाव के साथ छोटे बच्चों की सेहत के प्रति अधिक सर्तक रहने की जरूरत है। सिविल सर्जन डॉ अखिलेश्वर सिंह ने बताया कि सर्द-गर्म के इस मौसम का कमजोर इम्युनिटी वाले बच्चों पर विपरीत असर दिखाई देता है। जिससे बच्चे सर्दी, खांसी, बुखार, दस्त, डायरिया, उल्टी जैसे रोगों से संक्रमित हो सकते हैं। जिले में कुछ वर्षो से जापानी इंसेफ्लाइटिस बीमारी की चपेट में बच्चे आ जा रहे हैं | ऐसी कोई घटना न हो इसके लिए जिले के तमाम मेडिकल टीमों को जन जागरूकता व मेडिकल व्यवस्था के साथ एईएस से लड़ने के लिए तैयार किया गया है। इसके लिए मेहसी, चकिया, मधुबन, तेतरिया सहित अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में तैयारियां की गई हैं । जिसमें एइएस से बचाव के लिए महादलित टोलों के साथ जगह जगह स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा चौपाल का आयोजन किया जा रहा है। आवश्यक दवाओं, एबुलेंस, की अविलम्ब व्यवस्था करने को सभी स्वास्थ्य केंद्रों को निर्देशित किया गया है। वहीं आशा,जीविका दीदियों, आशा फैसिलिटेटरों , नर्सो को समय समय पर एईएस से सम्बंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। माइकिंग की जा रही है । 
कीटनाशकों का निरंतर छिड़काव किया जा रहा है ।

एईएस से माता-पिता रहें अलर्ट
बच्चों को एईएस से बचाने के लिए माता-पिता को शिशु के स्वास्थ्य के लिए अलर्ट रहना चाहिए। समय-समय पर देखभाल करते रहना चाहिए। बच्चों को संतुलित भोजन देना चाहिए। स्वस्थ बच्चों को मौसमी फलों, सूखे मेवों का सेवन करवाना चाहिए। साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। छोटे बच्चों को माँ का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है। माँ के दूध से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युन सिस्टम) मजबूत होती है। 

अप्रैल से जुलाई तक मस्तिष्क ज्वर की रहती है संभावना -
डॉ अखिलेश्वर सिंह ने बताया कि अप्रैल से जुलाई तक जिले में छह माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में मस्तिष्क ज्वर की संभावना भी बनी रहती है। ऐसी स्थिति में माता-पिता बच्चों की समस्या को पहचान नहीं पाते, जिसके कारण इसके इलाज में ही काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। हालांकि इससे बचने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी है। गांव-गांव में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। ताकि लोग चमकी बुखार मस्तिष्क ज्वर को सही समय पर जान सकें और समय पर इलाज कराकर सुरक्षित रह सकें ।

सरकार द्वारा एंबुलेंस की सुविधाएं उपलब्ध 
सिविल सर्जन ने बताया कि बच्चों के इलाज में किसी भी प्रकार की गंभीर स्थिति होने पर सरकार द्वारा एंबुलेंस की सुविधाएं उपलब्ध हैं। अगर एंबुलेंस में कोई देरी भी होती है तो माता पिता प्राइवेट भाड़ा कर गाड़ी लेकर जिला अस्पताल आ सकते हैं। उनके आने जाने का सारा किराया सरकारी स्तर पर मुफ्त दिया जाएगा। 

एईएस के लक्षण 
- बच्चों को बहुत ही तेज बुखार होता है।
 -बुखार के साथ चमकी आना शुरू होता है। 
- मुंह से भी झाग आता है।
- भ्रम की स्थिति होना ।
- पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मार देना।
 - हाथ पैर का अकड़ होना ।
- बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक संतुलन का ठीक नहीं रहना ।
- बेहोश होने जैसी स्थिति भी हो जाती है। 

 एईएस से बचने हेतु सावधानियां

- बच्चों को धूप से बचायें ।
- ओ आर एस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें ।
- रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं ।
- बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें ।
- पैरासिटामोल की गोली या सिरप दें ।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

live