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वाटर फॉर पीपल के तत्वाधान में जल जीवन हरियाली अभियान के तहत किया गया कार्यक्रम

प्रिंस कुमार 

जिला शिवहर पिपराही प्रखंड मुख्यालय में सर्व श्री सेवा सदन वाटर फॉर पीपल के तत्वाधान में जल जीवन हरियाली अभियान के कार्यक्रम का आयोजन, का शुभारंभ, प्रखंड विकास पदाधिकारी वासिक हुसैन, कार्यक्रम पदाधिकारी पंकज कुणाल, वाटर फॉर पिपुल के सचिव भूषण कुमार के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया,

शुभारंभ के पश्चात मनरेगा के कार्यक्रम पदाधिकारी पंकज कुणाल, ने बताया कि पर्यावरण को संतुलन बनाए रखने के लिए वृक्षारोपण करना और तलाब की उड़ाही, कुआं की उड़ाही कर उसे देखभाल करने की अति आवश्यकता है और कई जगह पर देखने को मिलता है कि सड़क पर पानी बहता रहता है उन लोगों से अपील है कि आप लोग अपने घरों में सोख्ता का निर्माण कराएं जिससे इधर उधर पानी का बहाव ना हो सके जिसके निर्माण के लिए सरकार भी सहायता करती है मनरेगा के तहत यह कार्य पूरा कराया जाता है और सभी कृषि सलाहकार, रोजगार सेवक, जनप्रतिनिधि को निर्देश दिया गया कि हर हाल में जल जीवन हरियाली के अंतर्गत होने वाले कार्य को 15 दिनों के अंदर पूरा करें अन्यथा कार्रवाई की जाएगी

वाटर फॉर पिपुल के सचिव भूषण कुमार के द्वारा जल संरक्षण के बारे में विस्तार से जानकारी दिया गया सोख्ता गड्ढा, कुआं ,पोखर के साफ सफाई के बारे में पानी के बजर के माध्यम से जानकारी दिया गया उपस्थित स्थानीय जनप्रतिनिधियों को बताया कि आपके सहयोग से गांव में विजित करेंगे एवं जो भी जल सरंक्षण संबंधित खर्चा आएगा उसे उसको प्लान बना कर ग्राम पंचायत विकास समिति मे डाला जाएगा उसमें बजट बना कर दिया जाएगा एवं रुपए प्राप्त होने के बाद समस्या पर कार्य किया जाएगा निर्धारित समय के अंदर उस कार्य को पूर्ण किया जाएगा।

हमारे सौर मंडल में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है, जिसमें जीवन हर रंग और रूप में मौजूद है। हो सकता है, जैसा जीवन पृथ्वी पर मौजूद है उस तरह का जीवन हमारी आकाश गंगा के अन्य ग्रहों में भी न हो, वैसे अगर हो भी तो अभी तक कुछ भी ज्ञात नहीं है। पृथ्वी पर ही जीवन होने के कई कारण हैं, जैसे सूर्य से सही दूरी, पृथ्वी के वायुमंडल में गैसों का जीवन के लिए आवश्यक और सही अनुपात, पृथ्वी का अपनी धुरी पर एक निश्चित गति से घूमना, एक निश्चित कोण में झुका होना और शायद सबसे महत्वपूर्ण इस धरती पर जल का होना। हमारी धरती पर जल अपनी तीनों अवस्था में पाया जाता है, यानि जल वाष्प, तरल जल और बर्फ। जल या पानी के कारण ही पृथ्वी में इतनी जैव विविधता है, इतनी हरियाली है, इतनी खिलखिलाहट है। अगर देखें तो हर जीव अपने में काफी मात्रा में जल समाए होता है।

उदाहरण के लिए, मानव शरीर में लगभग 60 से 70 प्रतिशत पानी है, पौधों में करीब 90 प्रतिशत तक पानी है, एक वयस्क जेलीफिश में तो करीब 94 से 98 प्रतिशत पानी होता है, यहाँ तक कि एक कोशिकीय सूक्ष्मजीव जैसे ईश्चैरिशिया कोलाई नामक जीवाणु में भी लगभग 70 प्रतिशत तक पानी ही होता है। यह पानी हमारे शरीर का तापमान सही बनाए रखने के साथ-साथ, कई सारी उपपाचन क्रियाओं में भी सहायक होता है। हमारे जीवन के लिए जरूरी रक्त भी लगभग 90 प्रतिशत तक पानी से ही बना है।पानी शरीर के रसायनों को इधर से उधर ले जाने में वाहक की भूमिका निभाता है। यह ठीक ही कहा गया है कि जल ही जीवन है, इसीलिए विश्व की सभी सभ्यताएँ वहीं पनपीं जहाँ पानी मौजूद था। स्वच्छ जल हर जीव की आवश्यकता है, परन्तु जिस तेजी से मानव आबादी बढ़ रही है, नये-नये टूटी पाइप-लाइन से बहता गन्दा पानी शहर बन रहे हैं, नये उद्योग लग रहे हैं, अधिक पैदावार के लिए गहन कृषि की जा रही है, इन कारणों से पानी की प्रति व्यक्ति उपलब्धता या तो कम होती जा रही है या पानी इतना दूषित हो चुका है कि उसे पीने और सिंचाई के लिए उपयोग में नहीं लाया जा सकता।

पूरे विश्व में प्रति वर्ष करीब सवा करोड़ मौतों के लिए दूषित जल जिम्मेदार है। करीब 1.2 अरब लोग सुरक्षित मीठा जल न मिल पाने के कारण भयंकर खतरे में जी रहे हैं। भारत में स्वच्छ पानी तक करोडों लोगों की पहुँच न होना एक गम्भीर समस्या है। विश्व में मानव आबादी के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है और तेजी से आर्थिक विकास की ओर अग्रसर है, लेकिन आज काफी बड़ी आबादी को स्वच्छ पानी उपलब्ध नहीं है और उन्हें दूषित जल से ही गुजारा करना पड़ता है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार हर रोज कम से कम चार हजार बच्चे उन रोगों से मर जाते हैं जो दूषित जल के कारण होते हैं। हमारे देश में ही दस में से चार व्यक्तियों की स्वच्छ पानी तक पहुँच नहीं है। पानी से होने वाली बीमारियों का मुख्य कारण है पानी का हमारे एवं पशुओं के मल आदि से दूषित होना। पानी से होने वाली मुख्य बीमारियों पर गौर करें तो वह है – हेपेटाइटिस-ए और हेपेटाइटिस-ई, पोलियो, टायफाइड और पैरा-टायफाइड, आंत्रशोथ या आतों के रोग, हैजा। ये रोग जीवाणुओं, विषाणुओं और अन्य सूक्ष्मजीवों से होते हैं, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक दूषित जल द्वारा पहुँचते हैं।

घर के आसपास पानी को जमा न होने दें, इसी पानी में मच्छर पनपते हैं। अपने आसपास सफाई का ध्यान रखें। नहाने-धोने के पानी को पीने के पानी से अलग रखें। पीने के पानी को हमेशा ढक कर रखें। कई बार साफ पानी भी ऊपर से गिरी गंदगी, दूषित हाथों या गन्दे बर्तनों से दूषित हो जाता है, इसीलिए पीने के पानी को निकालने का बर्तन लम्बे हैण्डल का होना चाहिए। बोतल बन्द पानी भी एक बार खुलने के बाद बाहरी गन्दगी से दूषित हो सकता है। शक होने पर या पानी के ज्यादा पुराना होने पर बोतल के पानी को भी बीस मिनट तक उबालें।

प्रकृति ने सभी जीवों को इस धरती पर जीने का पूरा मौका दिया है और मानव को इन सभी जीवों में सबसे अक्लमन्द और जागरूक बनाया है। हम अपनी ही नासमझी से इन रोगों की चपेट में आ जाते हैं। प्राकृतिक संसाधनों के अन्धाधुन्ध दोहन के लालच से हमें बचना होगा और जल संरक्षण की अपनी परम्परा को हमें फिर से अपनाना होगा। जल हमेशा से जीवन का आधार रहा है परन्तु हमारी ही गलतियों से यह जल हमारे जीवन के लिए घातक हो जाता है। पानी को न खुद गन्दा करें और न ही किसी और को गन्दा करने दें, स्वच्छ पानी की जिम्मेदारी हमारी अपनी है। हमें हर तरह से अपने जल स्रोतों जैसे भूमिगत जल, तालाब, नदियों आदि को दूषित होने से बचाना होगा। अपने लिए, अपने बच्चों के लिए, इस नीले जीवन भरे ग्रह यानि धरती पर सतत जीवन के लिए है।
मौके पर मीनापुर बलहा पंचायत के मुखिया रूपलाल महतो, पंचायत सचिव राजकुमार राय, अजीत झा, अमित कुमार, परियोजना सचिव धरणीधर कुमार, समन्वयक अमित पटेल, मीनापुर बलहा पंचायत के सभी महिला एवं पुरुष वार्ड सदस्य उपस्थित हुए।

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