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नर्सिंग ऑफिसर पूजा झा अपने जज्बे और हौसले से कोरोना को मात देकर फिर से मरीजों की सेवा में जुट गयीं


नकारात्मकता की दीवार में अपने जज्बे से उम्मीद की सुराख कर लौट आयी लोगों की सेवा में

- कोरोना योद्धा के रूप में काम कर रहीं नर्सिंग ऑफिसर पूजा झा

प्रिंस कुमार 

शिवहर, 28 दिसंबर।
कोरोना वायरस ने पूरे समाज को उसके असली योद्धाओं की पहचान करा दी है। उनमें स्वास्थ्यकर्मियों का नाम सबसे पहले आता है। इस काल के दौरान बहुत से ऐसे स्वास्थ्यकर्मी हैं जिन्हें कोरोना ने अपनी गिरफ्त में ले लिया, पर सकारात्मक सोच और कर्तव्यपरायणता ने उन्हें जल्द ही फिर से लोगों की सेवा के लिए प्रेरित कर दिया। ऐसी ही एक कोरोना योद्धा हैं शिवहर सदर अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र में कार्यरत नर्सिंग ऑफिसर पूजा झा। पूजा झा ने बताया कि 6 अक्टूबर को जांच करवाने के बाद मालूम चला कि वह कोरोना पॉजिटिव हो गयी हैं। इसके बाद वह होम आइसोलेशन में चली गईं। इस दौरान उन्होंने खुद में जोश भरा। मेहनत रंग लाई और नकारात्मकता की दीवार में अपने जज्बे से उम्मीद की सुराख करने में उन्हें सफलता मिली। इसी हौसला का नतीजा था कि 14 दिन होम क्वारंटाइन में रहकर फिर से वह मरीजों की सेवा में ड्यूटी पर लौट गईं।

संक्रमण को ठीक करने के लिए रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना जरूरी
पूजा ने बताया स्वास्थ्य सेवा में रहने के कारण वह घर में भी काफी सतर्क रहती थीं। हाथ धोना एवं शारीरिक दूरी का पालन करना उनकी आदतों में शुमार था। जब उन्हें पता चला कि वह पॉजिटिव हैं, तो उन्होंने खुद को आइसोलेट कर लिया। बताती हैं कि घर में रहकर संक्रमण को ठीक करने के लिए रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना बहुत जरूरी था। इसलिए उन्होंने इसकी जरूरी दवाओं का सेवन किया। उन्होंने नेचुरोपैथी का सहारा लेते हुए काढ़ा पीया। गर्म पानी का सेवन किया। इसका असर हुआ कि वह कोरोना को मात देने में सफल हो सकीं ।

फिर से जुट गयी कार्य पर
पूजा झा ने बताया की होम आइसोलेशन की अवधि पूरी कर वह अपने काम पर लौट गईं हैं। कोरोना को मात देने के बाद अब वह बेहतर तरीके से जान चुकीं हैं कि उन्हें कैसे रहना है और दूसरों को कोरोना के बारे में क्या बताना है। उनका खुद का अनुभव लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक करने में बहुत सहायक भी साबित हुआ।

सकारात्मक रहें, भेद-भाव न करें
संक्रमण के दौरान पूजा ने खुद को सकारात्मक रखने के फायदों को महसूस किया था, जिससे उन्हें संक्रमण से उबरने में काफी मदद भी मिली थी। संक्रमण के दौरान एक और बात उन्हें देखने को मिली कि कोरोना मरीजों के साथ लोग भेदभाव भी करने लगते हैं। यह बिल्कुल गलत है। कोरोना मरीजों के साथ भेदभाव नहीं, बल्कि उन मरीजों में सकारात्मक ऊर्जा भरने की जरूरत है।

पूरी एहतियात के साथ बच्चों की देखभाल
पूजा झा कहती है कि पोषण पुनर्वास केंद्र आने वाले बच्चों की वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण से बचाव करते हुए पूरी एहतियात के साथ देखभाल की जाती है। ताकि किसी प्रकार की कोई दिक्कत किसी को भी न हो सके। संक्रमण से बचाव को लेकर बच्चों के माता को सलाह भी दी जाती है। 


कोरोना के संक्रमण काल में लोग उचित व्यवहारों का पालन करें-
एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का प्रयोग करें।
सार्वजनिक जगहों पर हमेशा फेस कवर या मास्क पहनें।
अपने हाथ को साबुन व पानी से लगातार धोएं।
आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें।
छींकते या खांसते वक्त मुंह को रूमाल से ढकें।
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