अपराध के खबरें

ईश्वर की भक्ति करने के बावजूद व्यक्ति को कष्ट क्यों होता है : पंकज झा शास्त्री

 राजेश कुमार वर्मा

यह मृत्युलोक है और मृत्यु लोक में कष्ट होना स्वभाविक है।

दरभंगा/मधुबनी, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) ।
अक्सर लोगों का कहना होता है कि ईश्वर की भक्ति करने के बावजूद व्यक्ति को कष्ट क्यों होता है ..? दोस्तों मैं यह नही कह सकता कि आपको कष्ट नहीं होगा । ईश्वर के भक्ति से आपको यह निश्चित है कि कष्ट जरूर कम होगा। यह मृत्युलोक है और मृत्यु लोक में कष्ट होना स्वभाव है। यदि आपको कष्ट नही होगा तो हो सकता है किआप दिल से ईश्वर को याद नही करोगे।
ईश्वर के भक्ति करने का मतलब है वो आपसे ज्यादा बुद्धिमान, शक्तिशाली और ज्ञानी है। ईश्वर स्वरूप आकार सिर्फ आस्था का केंद्र है वास्तविक उनका रूप तो निराकार और जो कभी न समाप्त होने वाली सकारात्मक ऊर्जा है जो सदैव प्रकाशित रहता है। आकार रूप में कर्म के अनुसार ही इस ऊर्जा को प्राप्त कर सकते है। जैसे सूर्य सदैव प्रकाशित है परन्तु कभी कभी बादल बीच में आ जाने से धरती पर प्रकाश आ नही पाता उसी तरह जब जन्म हुआ तो जो ऊर्जा हमारे शरीर में जन्म के समय मौजूद थी वह ऊर्जा हमारे शरीर को पुराना होते ही वह ऊर्जा भी समाप्त होने लगती है इसी ऊर्जा को संचित करने के लिए भक्ति का मार्ग बताया गया है। ईश्वर की पूजा हम उनके कर्म अनुसार करते है। हमे लगता है कि अक्सर व्यक्ति उनसे मांगने का प्रयास करता होगा। उनसे हम क्या मांगे जिन्होंने बिना मांगे हमारे इस सुंदर शरीर का निर्माण किया।
जो भी आकार रूप में नष्टवान चीज है उसे नष्ट होना है फिर कष्ट कहां। अब सवाल उठता है कि यदि आकार रूप में कष्ट होता है तो इसका निर्माण क्यों हुआ?
आकार या उस के अंग का भी अपना कार्य है जैसे बिजली का सभी सामाग्री घर मे लगा है परन्तु उसमें विद्युत ऊर्जा नही है तो पकशित नहीं होगा। इसी तरह भक्ति करने से अदृश्य ऊर्जा प्राप्त होती है जिससे आकार रूप को कष्ट कम होता है या कष्ट होने के बावजूद भी उस कष्ट को सहने की क्षमता यह ऊर्जा देती है।
जैसे सत्य के मार्ग पर चलने वाले राजा हरिशचंद्र, भगवान राम, कृष्ण आदि कई ऐसे उदाहरण है जिनको आकार रूप में कष्ट हुआ फिर भी अधर्म के सामने ये विचलित नही हुए और धर्म मार्ग पर ये निरंतर चलते रहे। आज भी ये अपने सकारात्मक कर्म से ही उदाहरण बनकर हम सभी के बीच पूजे जाते है। बास्तव में प्रभु की लीला महान है। भौतिक सुख और दुःख तो आना जाना है।
पंकज झा शास्त्री

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

live