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समाजिक परिवेश सुधारने में रामचरितमानस अनमोल ग्रंथ

राजेश कुमार वर्मा/अभिनव कुमार


 उजियारपुर/समस्तीपुर ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । रामायण की कथा एवं इसकी शिक्षा समाज में फैले विभिन्न विसंगतियों को दूर करने में काफी अहमियत रखती है. इसमें निहित ज्ञान से मनुष्य में मनुष्यता के आदर्श एवं समाजिक मर्यादा के पालन करने की क्षमता का विकास होता है.यह बात चंदौली गांव में शुक्रवार को रामायण गोष्ठी में वक्ताओं ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा सत्यभूषण नाथ रामचरितमानस गोष्ठी चंदौली के चौदहवीं वर्षगांठ पर स्थानीय कमलाकांत ठाकुर के आवासीय परिसर में कथा किया गया। गोष्ठी का संचालन करते हुए अवकाश प्राप्त शिक्षक बैद्यनाथ पोद्दार, नवीन कुमार चौधरी आदि ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस ग्रंथ सबसे लोकप्रिय एवं लोगों को समझने के लिए सरल है. इसमें शंकर-पार्वती, काकभुशुण्डि-गरुर तथा तुलसीदास और संत के बीच हुई संवाद भक्ति, प्रेम और श्रद्धा का अनोखा रहस्य निहित है.इसे लोगों को समझने की जरुरत है। इस अवसर पर क्षेत्र के करीब एक दर्जन गांवों के अलग-अलग गोष्ठी के सदस्यों ने भाग लिया। अध्यक्षता जयचंद चौधरी ने किया । मौके पर उमेशचंद्र चौधरी, अमरकांत कुंवर उर्फ बुधन जी, केदार महतो, बालकृष्ण झा, श्रवण कुमार झा, महेश्वर ठाकुर, लक्षमीकांत चौधरी, हरिकांत चौधरी, गणेश प्रसाद सिंह, केदार झा, गोविंद सिंह, धर्म शीला देवी, शशिकांत झा, हरिकांत झा, सत्यदेव चौधरी, मधुकांत मिश्रा, रविंद्र महतो, रामगोविंद सिंह, प्रो सुशील कुमार आदि सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे । 
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