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पूर्व मध्य रेल समस्तीपुर का पचासवीं जयंती वर्ष पर व्यथा रेल कर्मचारियों की


“आपकी” इस बेरूखी का शिकवा करेंगे हम

राजेश कुमार वर्मा/संजय कुमार

समस्तीपुर ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । जी, हां वृहस्पतिवार रोज को शिक्षक दिवस के बहाने जब पूरा राष्ट्र सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद कर रहा था, बहुत कम लोगों को पता हो पाया की आज का दिन न केवल समस्तीपुर, अपितु बिहार के 15 जिलों के लिए तो अवश्य खास था। कारण की आज राज्य के 15 जिलों (पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, मधेरपुरा, अररिया, शिवहर, मुजफ्फरपुर, वैशाली, सुपौल, पूर्णिया, खगड़िया एवं बेगुसराय जिले) के कई रेलवे स्टेशनों को समेटे पूर्व मध्य रेल जोन का समस्तीपुर रेल मण्डल अपनी 50वीं गोल्डेन जुबिली वर्ष मना रहा था। हम तो इसे रेल अधिकारियों का रेलवे से आत्मीय लगाव न होना ही कहेंगे की उन्होने इतने बड़े मौके को एक बंद “मंथन सभागार” में चंद लोगों की उपस्थिति में केवल एक केक काटकर मना लिया। जी, हम समझते हैं की सिल्वर जुबिली, गोल्डेन जुबिली और डायमंड जुबिली क्या होता है। समस्तीपुर रेल मण्डल अपना 50वां वर्ष पूरा कर रहा था “साहब” और आपने इतने बड़े मौके को यूं ही एक सादा समारोह कर मना लिया। अरे “आप” आज यहाँ है, कल आप कहीं और होंगे। लेकिन हमलोग इस क्षेत्र के स्थायी निवासी हैं, बचपन से रेलवे स्टेशन, रेलवे कॉलोनी और डीआरएम बिल्डिंग ही देखे हैं। दावे के साथ कह सकता हूँ की “आप” भले ही मौजूदा समय में डिवीजन के बड़े अधिकारी होंगे, लेकिन भारतीय रेल को जितना मैंने अपने दिल के अंदर बसाये रखा है, उतना “आप” नहीं बसाये होंगे। जितनी मुहब्बत उस स्टीम इंजन वाली “लोगो” से हमे है, उतना “आपको” नहीं होगा। अरे सर, आज तो हम मान गए की “आप” केवल अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं, लेकिन बचपन से हमने जितना रेल को जिया है “आप” नहीं जिये होंगे।
हमारा रेल मण्डल 50वें वर्ष में प्रवेश कर रहा था साहेब। प्रथम दफा यह आज ही के दिन वर्ष 1969 में अस्तित्व में आया था। वर्ष 1996 में जब एच डी देवगौड़ा देश के प्रधानमंत्री थे, तब नवगठित पूर्व मध्य रेल जो की 01 नवंबर 2002 से विधिवत परिचालन में आया, के 05 रेल मंडलों में से 01 समस्तीपुर रेल मण्डल इस जोन का हिस्सा बना। इससे पहले यह मण्डल पूर्वोत्तर रेल का हिस्सा हुआ करता था। इसके 05 प्रमुख स्टेशन जयनगर, लौकहा बाजार, बैरगनिया, रक्सौल एवं राघोपुर का पड़ोसी देश नेपाल से सटे होने के कारण हमारे रेल मण्डल की अंतरराष्ट्रीय महत्ता भी कम नहीं है साहब। लेकिन आपको रेल से लगाव हो तब न। हमे बहुत कुछ याद है :- कैसे आप रेल क्षेत्र में गांधी जयंती मनाते है, अंबेडकर जयंती मनाते हैं। अभी कुछ दिन पहले 20 अगस्त को आपने डीआरएम कार्यालय पर सद्भावना दिवस भी मनाया था। कभी आप वृक्षारोपण भी करते हैं, तो कभी स्टेशन के महिला प्रतीक्षालय में सेनेट्री नेपकिन की भी व्यवस्था करवा देते हैं। लेकिन जहां तक हमे पता है, ये सब आप अपने मन से नहीं करते है, इन सभी कार्यों के लिए आपको रेलवे बोर्ड या ज़ोनल स्तर से निर्देश आता है। लेकिन आज की तिथि, जो की केवल समस्तीपुर रेल मण्डल के लिए खास था, इसलिए आपको न ही रेलवे बोर्ड और न ही जीएम साहब के तरफ से किसी प्रकार का निर्देश आया।
हमारी दादी पढ़ी-लिखी नहीं थी, अशिक्षित थी। हमे याद है वो डीआरएम ऑफिस को हमेशा डीएस ऑफिस ही कहती रही। हमे लगा वो अशिक्षित होने के वजह से ऐसा बोलती थी। लेकिन बाद में पता चला की दिनांक 08-02-1979 तक मण्डल रेल प्रबन्धक को मण्डल अधीक्षक यानि DIVISONAL SUPERINTENDENT यानि डीएस ही बोला जाता था।
50वी वर्षगांठ को आप बहुत ही भव्य तरीके से मनाते साहब। आप यह कहकर अब अपना पल्ला नहीं झाड सकते हैं की 06 सितंबर को रेल मण्डल समिति की बैठक, जिसमे 18 सांसदों के भाग लेने की संभावना है, की तैयारी के मद्देनजर आप गोल्डेन जुबिली कार्यक्रम को ठीक से नहीं मना पाये। अरे सर, मण्डल समिति की बैठक हर वर्ष होती है, जहां तक हमे जानकारी है, साल में 02 दफा होती है। लेकिन हमारे रेल मण्डल की गोल्डेन जुबिली अब दुबारा कभी नहीं आएगी। आप महीनों पहले से इसकी तैयारी करवाते। न केवल डीआरएम कार्यालय, अपितु मण्डल के सभी 90 स्टेशनों, 38 हाल्ट स्टेशनों एवं 08 फ्लैग स्टेशनों को कम-से-कम एक दिन के लिए तो अवश्य रौशनी से नहाया जाता। उत्कृष्ट कार्य करनेवाले चुनिन्दा रेलकर्मियों को इस विशेष दिन पर आप पुरष्कृत कर उनका उत्साहवर्धन भी कर सकते थे। काफी भव्य आयोजन आज के दिन होना चाहिए था साहब। लेकिन आपको रेलवे से आत्मीय लगाव हो तब न। आप तो यहाँ केवल अपनी ड्यूटी बजाने आए हैं। समस्तीपुर से राजेश कुमार वर्मा
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