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बाढ़ प्रभावित नामापुर पंचायत का सामाजिक संगठनों ने किया सर्वेक्षण घुटने से लेकर ठेहुना तक कीचड़ युक्त ज़मीन पर चलकर बागमती नदी को पार कर चलने पर मजबूर है नामापुर पंचायत के वार्ड संख्या-6 (दरियापार टोला) के ग्रामीण महिलाएं व बच्चे

राजेश कुमार वर्मा 
                                                                                 
समस्तीपुर ( मिथिला हिन्दी न्यूज ) । समस्तीपुर जिले के बाढ़-ग्रस्त क्षेत्रों में पानी कम जाने के बाद वहाँ की प्राकृतिक, सामाजिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करने हेतु लोक समिति पटना, चेतना सामाजिक संस्था समस्तीपुर सूरज नारायण सेवा संस्थान मोहिउद्दीन नगर , लोक समिति, पटना के संयुक्त तत्वावधान में तीन सदस्यीय दल समस्तीपुर ज़िले के कल्याणपुर प्रखण्ड के सुदूरवर्ती पंचायत नामापुर पहुँचे। तीन सदस्यीय प्रतिनिधि दल में डॉ० मिथिलेश कुमार (अध्यक्ष, चेतना सामाजिक संस्था) , श्री उमाशंकर सिंह(सचिव, सूरज नारायण सेवा संस्थान) , के साथ श्री कौशल गणेश "आज़ाद" (रास्ट्रीय समन्वयक, लोक समिति) शामिल थे।
      समस्तीपुर मुख्यालय से लगभग 13 किलोमीटर दूर कल्याणपुर चौक से बायें कल्याणपुर-पूसा मार्ग में लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर लदौरा चौक से दाये लदौरा-गंगौड़ा पथ जो काफी जीर्ण-शीर्ण अवस्था मे है पर चलकर नामापुर हाट के बगल में स्थित पंचायत भवन पहुँचा।वहाँ से बागमती नदी पर बने बाँध जिसकी उच्चाई लगभग 50 फिट व चौड़ाई नीचे 250 फिट व क्रमशः ऊपर35 फिट हैं को लांघ कर शान्ति नदी को दो भागों में बाँटने वाली सड़क व पुल से गुजरकर नामापुर पंचायत के वार्ड-11 से वार्ड- 6 तक एवं परना ढाल से रसलपुर बघला स्थित वार्ड-1से वार्ड-5 का भ्रमण किया।गाँव में जानेवाली सड़क कटाव ग्रस्त होने तथा सड़क के निचे की मिट्टी बाढ़ में बह जाने से हमे अपनी चार चक्के की वाहन गाँव के प्रवेश द्वार पर ही छोड़नी पड़ीं।क्योकि उस पथ पर दोपहिया वाहन की सवारी भी अपने जान को जोखिम में डालने वाली प्रतित हो रही थी।(फोटो संलग्न)। वे लोग पैदल ही वार्ड संख्या-11,10,9,8,7 में घूम रहे थे। जहाँ की सड़कें अपनी जीर्णोद्धार की वाट जोह रही थी। जब वे लोग नामापुर पंचायत के वार्ड संख्या-6 (दरियापार टोला) जो मुज़फ्फपुर, दरभंगा एवं समस्तीपुर का सीमांत क्षेत्र हैं और दरभंगा से सुगमतापूर्वक जुड़ा है, में जाने हेतु अग्रसर हुये तो पता चला कि उक्त वार्ड को पंचायत के अन्य वार्डो से बागमती नदी बांटे हुये हैं। वहाँ के बच्चे-बूढ़े, महिला-पुरुषों को अपने रोजमर्रा के कार्य तथा मवेशियों के चारे के लिए भी लगभग आधा से एक किलोमीटर का सफर घुटने से ठेहुने तक के कीचड़ युक्त भूमि में चलकर बागमती नदी के किनारे पहुँचना पड़ता हैं। तदुपरान्त नाव की सवारी कर अपने गन्तव्य को पहुँचते हैं। उनके वार्ड में विद्यालय, चिकित्सीय सुविधा तथा अन्य मूलभूत सुविधा का अभाव है। वार्ड संख्या-1स्थित प्राथमिक विद्यालय, रसलपुर बघला कटाव ग्रस्त हैं।
       बताते हैं की नामापुर पंचायत की अधिकांश आबादी प्रत्येक वर्ष आनेवाली बाढ़ के समय व उपरान्त करीब 3 से 4 माह तक पीड़ित रहते है।उन्हें उक्त समय मे दोनों वक़्त भोजन भी मयस्सर नही हो पाता है। यहां चिकित्सीय सुविधाओं का पूर्णतया अभाव रहता है। बाढ़ के समय किसी की तबियत खराब हो जाने पर उन्हें नाव की सहायता प्राप्त कर कल्याणपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता है। तीन से चार माह बच्चे विद्यालय जल-जमाव के कारण नही जा पाते तथा अधिकांश छात्र-छात्रायें आर्थिक-सामाजिक-सांस्कृतिक-प्राकृतिक प्रभाव में उच्च शिक्षा ग्रहण नही कर पाते।मुखिया श्री रामविनोद ठाकुर,पंचायत समिति सदस्य श्रीमती वीणा कुमारी, वार्ड संख्या-11के वार्ड सदस्य श्री सोनेलाल, वार्ड संख्या-10 के सदस्य श्रीमती बेबिया देवी,श्री मनोज ठाकुर(भूतपूर्व मुखिया पति),रामचंद्र सहनी, धनमन साह, राजेन्द्र साह, होलील साह, जवाहर साह, रीता कुमारी, प्रीति कुमारी, रामदेव साहनी,सुरेन्द्र साहनी,नंदकिशोर साहनी,असरफी दास, राम दिप साह, जितेंद्र दास, बैजनाथ सहनी आदि ने बताया कि इस वर्ष बाढ़ के दौरान सरकार द्वारा राहत के रूप में भोजन वितरित नही होने से बच्चे व बूढो को अपने जीवन यापन में काफी कठिनाई हुई हैं।लगभग 100से150 गरीबों के घर बाढ़ के कटाव के कारण गिर गए हैं जिससे उन्हें खुले आकाश के निचे जीवन यापन करने को विवश होना पड़ रहा हैं।उन्हें प्रखण्ड व जिला प्रशासन द्वारा सर ढकने हेतु तिरपाल भी अभी तक मुहैया नही कराई गई हैं।हालांकि पंचायत को इस बार बाढ़ आने के एक सप्ताह बाद 14 नाव प्रशासन द्वारा दी गई थी।बाढ़ राहत हेतु पंचायत से 2700 परिवारों की सूची प्रेषित की गई है जिसे प्रखण्ड प्रशासन द्वारा संसोधित कर 2447 कर दिया गया है।लेकिन अभी तक नामापुर पंचायत के एक भी परिवारो को न ही बाढ़ राहत हेतु प्रदत्त 6000 रुपये की राशि दी गई हैं और न ही सिंचित व असिंचित खेतों के लिए प्रदत्त फसल क्षति अनुदान 13500 रुपये (सिंचित) एवं 6800 रुपये(असिंचित)अभी तक किसी परिवारो को प्राप्त हुआ है।जिससे उनके समक्ष भुखमरी की स्थिति बन गई है।जिसके फलस्वरूप इस पंचायत के 300 से 400 लोग काम-धन्धे की तलाश में पलायन कर रहे हैं।स्थानिय वृद्ध बताते हैं कि 1956 ईस्वी में सर्वप्रथम बाँध बनने व उसकी उच्चाई एवं चौड़ाई में उत्तरोत्तर वृद्धि के परिणामस्वरूप बाढ़ की विभीषिका बढ़ी हैं, जान-माल का नुकसान बढ़ा है।अगर इसकी उच्चाई में और भी वृद्धि की गई तो हो सकता हैं कि इस पंचायत का नामोनिशान ही समस्तीपुर के मानचित्र से गायब हो जाय।
  स्थानीय पंचायत प्रतिनिधि एवं आम जनता चाहती हैं कि उन्हें बाढ़ राहत एवं फसल क्षति अनुदान अविलम्ब प्रदान की जाय वहीं एक से डेढ़ सौ परिवार जिनका घर बाढ़ के कटाव से गिर व क्षतिग्रस्त हो गया हैं उन्हें अविलम्ब इन्दिरा आवास प्रदान की जाय , बागमती बाँध से नामापुर एवं परना ढाला से रसलपुर बघला जाने वाली सड़क का उच्चीकरण एवं जगह-जगह सडक़ पुल निर्माण के साथ साथ बागमती नदी पर पुल का निर्माण । नामापुर पंचायत में प्रत्येक वर्ष बाढ़ राहत एवं फसल क्षति अनुदान के रूप में बाँटने वाली राशि मे से अगर एक वर्ष की राशि बाढ़ प्रबंधन पर ख़र्च कर दी जाय तो बाढ़ की विभीषिका यदि समाप्त नही भी हो तो कम जरूर हो जायेगी।हमलोगो के विचार से बाढ़ के रोकथाम हेतु निम्न कार्य किये जा सकते है जैसे की शान्ति नदी पर बनी सड़क(परना चौक से रसलपुर बघला एवं बागमती नदी पर बनी बाँध से नामापुर जाने वाली सड़क) की ऊँचाई 5-10 फिट बढ़ा दी जाय तथा जगह-जगह पर सड़क पुल का निर्माण करने से बाढ़ के समय पानी का जमाव कम होगा तथा आवागमन निर्बाध रूप से होगी । बागमती नदी पर पुल के निर्माण होने से नामापुर पंचायत जो तीन भौगोलिक क्षेत्रों में बंटा हैं के बीच समान्य रूप से विकास होगा,आवागमन सुगम होगी तथा सामंजस्य स्थापित होगा।
 नहर का निर्माण कर शान्ति नदी एवं बागमती नदी के पानी का उपयोग सिंचाई के लिये किया जा सकेगा।जिससे किसानों की फसल उत्पादन लागत कम होगी तथा मुनाफा बढ़ेगा। पंचायत में नये तालाबो का निर्माण कर जल ग्रहण क्षेत्र का विकास किया जा सकता हैं।जिसमे मछली पालन,सिप पालन,सिंघाड़ा एवं मखाना की खेती कर यहाँ के लोग आत्मनिर्भर होंगे तथा पलायन(विस्थापन)कमेगा।
पूरे पंचायत में सघन वृक्षारोपण कर बाढ़ के समय मिट्टी के कटाव को रोका जा सकेगा। बाढ़ के दौरान बच्चों की पढ़ाई बाधित होने से रोकने हेतु शिक्षा एवं आपदा प्रबंधन विभाग को जबाबदेह बनाया जाय। बाढ़ के दौरान आंगनवाड़ी केंद्रों तथा प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में पोषाहार वितरण सुनिश्चित की जाय।जिससे कि बाढ़ के दौरान नन्हे-मुंन्हे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण भोजन मिल सके। बाढ़ के समय प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था पंचायत में उपलब्ध कराई जाय। बाढ़ के समय पंचायत में सक्रिय मानव व्यापार एवं विवाह पर्यटन के दलालों को चिन्हित व दंडित करने हेतु पंचायत, प्रखण्ड एवं ज़िला बाल संरक्षण इकाई को संवेदनशील बनाने की पहल की जानी चाहिए। बागमती नदी पर निर्मित बांध की ऊँचाई में उत्तरोत्तर वृद्धि को रोका जाये इसके साथ ही बागमती नदी पर बने बाँध के निर्माण के पूर्व एवं उपरान्त बाढ़ की विभीषिका का अध्ययन कर उक्त परियोजना में समुचित सुधार अथवा बंद की जाय। 
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