अपराध के खबरें

तेजस्वी भोजनालय हिट : बिहार और यूपी के बोर्डर पर चल रहे इस तेजस्वी भोजनालय को उजाड़ने कभी पुलिस गई थी और अब वही पुलिस राहगीर प्रवासियों को तेजस्वी भोजनालय में यह बताकर भेज रही है कि जाईए पहले खाना खा लीजिए तब आगे जाइएगा


औसतन दस हजार लोगों का प्रत्येक दिन हो रहा है भोजन।

 ग्लोकोज और ओआर‌एस के साथ बच्चों के लिए दूध का भी इंतजाम भरपूर।



इस पूरे प्रकरण में जदयू और गरीबों को मिटा देने पर आमादा सरकार हुई बेनकाब

अनूप नारायण सिंह 

मिथिला हिन्दी न्यूज :- कर्मनाशा नदी के पार करते ही बिहार की सीमा शुरू हो जाती है और वहीं भूखे,प्यासे,थके हारे लोगों के स्वागत में इंतजार कर रहा होता है तेजस्वी भोजनालय। जबरदस्त भीड़ न आने वालों कि तांता टूटती है और न ही खाने के इंतजाम कमी हो रही है। निशुल्क भरपूर और आकंठ भोजन। बच्चों के लिए दूध भी प्रर्याप्त। स्थानीय लोगों की मानें तो प्रत्येक दिन वहां भोजन करने वालों की संख्या औसतन दस हजार के आसपास रहती है।
यहां बिहार के ही खाने वाले लोग नहीं होते बल्कि इस विपदा में फंसे लोगों में झारखंड और बंगाल के भी लोग होते हैं। सबका सम्मान बराबर है।
 सरकार,जदयू के प्रवक्ताओं और आपदा प्रबंधन के नाम पर लूट मचाने वाले महके हुए अधिकारियों को इससे मिर्ची क्यों लगती है? क्या कहना चाहते हैं वे कि यह देश गरीबों का,मिहनतकस मजदूरों का,दलित,थकित और अतिपिछड़ों का नहीं है। यार ये तो हद है।
बिहार में जदयू की ओर से कहीं कोई इस तरह का कैंप लगाया गया हो,ऐसा नहीं मिलता। यदि किसी को मालूम हो तो बताएं राज्य और देश भर की मीडिया उन्हें खोज रही है। 
देश भर में फंसे मजदूरों को सरकार ने तो कुछ किया नहीं उल्टे लूटपाट मचाया। अरबों के उस लूटपाट से कुछ पाप कटने के नाम पर कुछ चिल्लर ही लगा दिया होता तब भी हज़ारों भूखे पेट को कम-से-कम चैन मिला होता। लेकिन नीयत साफ हो तब न? 

उल्टे तेजस्वी भोजनालय को बंद कराने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस और प्रशासन को सरकार द्वारा भेजा गया कि यहां से कैंप हटाओ। पटना में जदयू के एक दिमागी तौर पर वीमार प्रवक्ता ने कहा कि इस तेजस्वी भोजनालय को पुलिस हटाने इसलिए गई थी कि यह भोजनालय सरकारी जमीन पर चल रही है। जैसे लगता है कि बिहार के तमाम सरकारी जमीन का रजिस्टरी जदयू ने करा लिया हो, जिस पर बैठ कर कोई खाना नहीं खा सकता और न ही उसपर कोई खाना खिला सकता है। इस तरह के तर्क दिए जा रहे हैं जैसे यह पार्टी नहीं फटीचरों की जमात हो।
इस तेजस्वी भोजनालय के संचालक पत्रकार और एक्टिविस्ट सुधाकर सिंह ने इस भोजनालय की रक्षा जबरदस्त रूप से गांधीगिरी करके की।कहां आप इस भोजनालय शिविर को उजाड़ दीजिए। कोई कुछ नहीं बोलेगा और न करेगा। लेकिन आपकी इस पूरी कार्रवाई को हम कैमरे में कैद करेंगे और देश भर के लोगों को बताएंगे कि इस देश में गरीबों, मजबूरी में फंसे लोगों और प्रवासी मजदूरों को खाना खिलाना और पानी पिलाना इस सरकार और प्रशासन को मंजूर नहीं है और उसकी नजर में अपराध है। इतना सुधाकर राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र भी है और उन्होंने अपनी सेवा और संघर्षों से पूरे अविभाजित शाहाबाद में एक अलग पहचान भी बनाई है।
इस कैंप के संचालन में सहयोग की भूमिका निभा रहे डाक्टर पुनीत संप्रति प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष नारायण मेडिकल कॉलेज, जमुहार ने हर तरह का चिकित्सकीय योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि हजार डेढ़ हजार किलोमीटर दूरी भूखे प्यासे तय करते शरीर में पानी और सुगर की कमी आम तौर पर जा रही है। इसलिए उन्होंने ग्लोकोज का यहां इंतजाम रखा है। आज से कुछ ओआर‌एस का छोटा पैकेट रखा जा रहा है जिन्हें जरूरत के हिसाब से उपलब्ध कराया जा सके।
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